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लद्दाख के लोगों ने कहा पहले ही अच्छे थे

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः लद्दाख के प्रमुख जनप्रतिनिधियों का औपचारिक बयान खुद नरेंद्र मोदी को परेशानी में डालने वाला है। इन नेताओं ने पहली बार सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ मुंह खोला है। इनलोगों ने कहा है कि अभी जो हालत है, उससे बेहतर स्थिति में लद्दाख तो तब था जब वह जम्मू कश्मीर के साथ था।

इस किस्म की आलोचना को मोदी सरकार के फैसलों के खिलाफ बहुत कड़ी आलोचना के तौर पर आंका गया है। यह बयान भी उस मौके पर आया है जब भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी अब पंजाब होते हुए जम्मू और कश्मीर की तरफ बढ़ने वाले हैं।

केंद्र सरकार ने लद्दाख के लिए जो कमेटी बनायी है, उसका भी लद्दाख के नेताओं ने वहिष्कार कर दिया है। वे इस कमेटी में शामिल होने से इंकार कर चुके हैं। उनलोगों का खुला आरोप है कि केंद्र सरकार ने उनके साथ वादा खिलाफी की है। यह लद्दाख की जनता के साथ सरासर धोखा है।

चीन के साथ सीमा पर तनाव की स्थिति के बीच लद्दाख से ऐसा बयान मोदी सरकार की परेशानियां बढ़ाने वाला है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाख के लिए एक अलग कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, लद्दाख के सांसद और लद्दाख स्वायत्त परिषद के प्रतिनिधि शामिल किये गये थे।

स्वायत्त परिषद के सदस्यों ने इस कमेटी में शामिल होने से साफ इंकार कर दिया है। लद्दाख स्वायत्त परिषद के नेता तथा लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसियेशन के उपाध्यक्ष चेरिंग दोर्जाय के मुताबिक जम्मू कश्मीर के हिस्सा के तौर पर यहां के लोग बेहतर थे।

केंद्र सरकार ने लद्दाख के लोगों को मुर्ख बनाने का काम किया है। लद्दाख को काफी समय से स्वतंत्र राज्य अथवा संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत का इलाका घोषित करने की मांग की जाती रही है। अब परिषद के नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार असली मुद्द पर कोई कार्रवाई करने की तैयारी तक नहीं कर रही है।

ऐसे में जब असली मांगों पर ही विचार नहीं होना है तो ऐसी कमेटी में शामिल होने का क्या फायदा। लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग करने का फैसला लागू करते वक्त जो विकास का एलान किया गया था, उनमें से कुछ भी पूरा नहीं होने की वजह से स्थानीय स्तर पर यह धारणा बन गयी है कि केंद्र सरकार ने अपना राजनीतिक हित साधने के लिए लद्दाख की जनता को मुर्ख बनाया है।

दूसरी तरफ कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस के नेता सज्जाद हुसैन ने भी परिषद के नेताओं की बातों का समर्थन किया है। उन्होंने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि जिस तरीके से गिलगिट और बाल्टीस्तान के लोगों के साथ पाकिस्तान की सरकार का आचरण होता है। हमारे साथ भी भारत सरकार वैसा ही आचरण करना चाहती है, जो गलत है।

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