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अगरतलाः म्यांमार का सैनिक शासन अगले स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 7012 कैदियों को रिहा करेगा। वहां से इस सूचना के सार्वजनिक होने के बाद भारतीय सीमा में भाग कर आये शरणार्थियों में खुशी का माहौल है। बुधवार को वहां के सैन्य शासक ने कहा कि हर देश में इस किस्म की आम माफी दी जाती है।
इसलिए म्यांमार भी उसी परंपरा का पालन करने जा रहा है। वैसे म्यांमार का सैन्य शासन इस वक्त अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को झेल रहा है। वहां की सैन्य सरकार को विदेश से कोई मदद नहीं मिल रही है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर म्यांमार के इस शासन के खिलाफ कई प्रस्ताव भी पारित हो चुके हैं।
इनमें देश से भगाये गये रोहिंग्या समुदाय को उनके मूल स्थान पर बसाने की मांग शामिल है। वैसे सैनिकों की कार्रवाई से चुनी हुई सरकार को सत्ता से बेदखल करने के बाद ही म्यांमार के स्थानीय लोगों ने सेना का आतंक के खिलाफ हथियार उठा लिये थे।
अब देश के जंगली इलाकों में ऐसे गुरिल्ला छापामार म्यांमार की सेना के लिए बड़ी चुनौती बन गये हैं। कैदियों को रिहा करने का एलान करते हुए सीनियर जनरल मिन आउंग हियांग ने कहा कि विरोधों केबाद भी कई देशों ने उनकी मदद की है, जिसके लिए वे ऐसे मददगारों के भी शुक्रगुजार हैं।
म्यांमार के 75वें स्वतंत्रता दिवस के समरोह में सैनिक परेड का भी आयोजन किया गया। वैसे गत 1 फरवरी 2021 से सैन्य शासन लागू होने के बाद देश बदहाल अवस्था में है। पहले सेना ने विरोध करने वाले नागरिकों पर जबर्दस्त तरीके से कहर ढा दिया था।
अब गुरिल्ला युद्ध प्रारंभ होने के बाद से सेना को भी जंगल के इलाकों में काफी संभलकर चलना पड़ रहा है। नोबल पुरस्कार प्राप्त सू कि को देश की राजधानी के एक जेल में रखा गया है। सैन्य शासन की अदालत ने कई मामलों में उन्हें दोषी करार देते हुए लंबे कारावास की सजा भी सुना दी है।
उसके बाद से देश में सेना के साथ आम नागरिकों का टकराव बहुत अधिक तेज हो चुका है। वैसे सैन्य शासन राजनीतिक बंदियों को रिहा करने जा रही है अथवा नहीं इस पर कोई जानकारी नहीं दी गयी है। सत्ता हथियाने के बाद से ही सैन्य शासन ने सभी प्रमुख राजनेताओं को बंदी बनाकर जेल में डाल रखा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी म्यांमार के सैन्य शासन के खिलाफ कार्रवाई को लेकर मतभेद है। चीन और रूस कड़ी कार्रवाई के खिलाफ है। दूसरी तरफ अनेक अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर म्यांमार के सैन्य प्रतिनिधियों के शामिल होने पर रोक लगा दी गयी है।
इन्हीं घटनाक्रमों के बीच जेल में बंद सात हजार से अधिक लोगों को रिहा करने की सूचना से भारतीय सीमा में बने शरणार्थी शिविरों में रहने वाले म्यांमार के नागरिक खुश है। उन्हे लगता है कि इस एक पहल के बाद उनके देश की स्थिति में और सुधार होगा और वे अपने घर लौट सकेंगे।