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एबीसीडी छोड़ो नैनो से नैना जोड़ो

साल का अंतिम दिन है तो क्लबों, होटलों से लेकर सड़कों तक अंग्रेजी की भरमार दिखेगा। यह अलग बात है कि लोग इस अंग्रेजी से क्या याद करना चाहते हैं या क्या भूलाना चाहते हैं, यह आज तक तय नहीं हो पाया है। फिर भी आज के दिन तो कमसे कम अंग्रेजी का क्रेज रहेगा। पता नहीं देसी से क्या परहेज है।

खैर साल के अंतिम दिन पूरे साल का लेखा जोखा कर लें तो बेहतर रहेगा। इस साल की सबसे बड़ी घटना फरवरी में रूस यूक्रेन युद्ध का आगाज था। इस हमले में दोनों ओर से हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं। युद्ध अब भी जारी है और इसके खत्म होने के आसार भी नहीं दिख रहे हैं। युद्ध में 80 लाख लोग विस्थापित हो गए थे। साल 2022 चीन के पास स्थित ताइवान भी कम सुर्खियों में नहीं रहा। लेकिन ड्रैगन को तो भारतीय सेना ने अच्छा सबक सिखलाया है।

ईरान में कट्टरपंथियों की शासन है। लेकिन महिलाओं ने विरोध करना शुरू कर दिया। उन्होंने हिजाब के खिलाफ आंदोलन कर दिया।

साल 2022 में दक्षिण अमेरिका की राजनीति  में बड़े बदलाव देखने को मिले। जहां अब से पांच साल पहले महाद्वीप की राजनीति में दक्षिणपंथी राजनेताओं का वर्चस्व था। पहले मैक्सिको, फिर अर्जेंटीना, और फिरबोलिविया के बाद पेरू और चिली में वामंपथी विचारधारा के समर्थक सत्ता में आए। यह चलन साल 2022 में भी जारी रहा और एक बहुत बड़े बदालव के रूप में वामपंथी समर्थित दल होन्डुरस, कोलंबिया और ब्राजील में सत्ता पर काबिज होने में सफल रहे।

भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान के लिए यह साल कुछ ज्यादा ही खराब रहा। पाकिस्तान के आर्थिक हालात तो पहले से ही खराब चल रहे थे। उस पर वहां सिंध प्रांत में आई अभूतपूर्व बाढ़ ने वहां की कमर तोड़ कर रख दी। लेकिन शायद इतना काफी नहीं था जो रही सही कसर पाकिस्तान की राजनैतिक अस्थिरता ने पूरी कर दी। आलम यह है कि पाकिस्तान कभी भी दिवालिया हो सकता है। उसके कई मित्र देशों ने उसकी मदद करने से इनकार कर दिया है। इमरान खान के सत्ता गंवाने के बाद नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी आर्थिक समस्याएं सुलझा नहीं पा रहे हैं।

इंडिया में अभी कोई माने या ना मानें हर बात को दरकिनार कर टी शर्ट का फैशन है। जी हां मैं राहुल गांधी के टी शर्ट की बात कर रहा हैं। भारत जोड़ो यात्रा से भाजपा परेशान है और राहुल ने अपने ही भाषण में इस परेशानी का पिटारा भी खोल दिया है। जिसे पप्पू साबित करने में पूरी आईटी सेल लगी थी। पैदल चलते हुए राहुल गांधी ने इस पूरे प्रचार को ही डूबो दिया है। जो लोग कहते थे राहुल को राजनीति की एबीसीडी नहीं आती, उनके लिए यह सबक भी है। इसी बात पर पुरानी फिल्म राजा जानी का यह गीत याद आने लगा है। इस गीत को लिखा था आनंद बक्षी ने और संगीत में ढाला था लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने। इसे लता मंगेशकर ने अपना स्वर दिया था।

एबीसीडी छोड़ो नैनो से नैना जोड़ो

देखो दिल न तोड़ो

आई शाम सुहानी राजा जानि राजा जानी

राजा जानि राजा जानी

एबीसीडी छोड़ो नैनो से नैना जोड़ो

देखो दिल न तोड़ो

आई शाम सुहानी राजा जानि राजा जानी

राजा जानि राजा जानी

ज़रा हस के दिखलाओ ज़रा हस के दिखलाओ

प्रेम का सबक पढ़ाओ

इंग्लिश में कैसे करते है इसक विसक बतलाओ

इसक विसक बतलाओ

आई रुत मस्तानी राजा जानि राजा जानी

राजा जानि राजा जानी

रहने दो हमजोली रहने दो हमजोली

ये परदेसी बोली इंग्लिश में क्या रखा है

आओ खेलें आँख मिचोली आओ खेलें आँख मिचोली

दो दिन की जवानी राजा जानि राजा जानी

राजा जानि राजा जानी

एबीसीडी छोड़ो नैनो से नैना जोड़ो

देखो दिल न तोड़ो आई शाम सुहानी

राजा जानि राजा जानी राजा जानि राजा जानी

मैं जाने किस कारण मैं जाने किस कारण

बन गयी तेरी पुजारन तेरी मेरी नहीं निभनी

तू बाबू मैं बंजारन तू बाबू मैं बंजारन

मैं हु आग तू पानी राजा जानि राजा जानी

राजा जानि राजा जानी

एबीसीडी छोड़ो नैनो से नैना जोड़ो

देखो दिल न तोड़ो आई शाम सुहानी

राजा जानि राजा जानी

राजा जानि जानी जानी

हो राजा राजा राजा जानी

अब चलते चलते अपने झारखंड की भी चर्चा कर लें। ईडी, आईटी जैसे अंग्रेजी उच्चारण वाले विभागों ने कमाल की शुरुआत की थी। लेकिन सरयू राय ने बयान के साथ सबूत क्या पेश किया, सारे अंग्रेजीदां विभाग हिट विकेट हो गये। अब तो सिर्फ लपेटने का काम शायद चल रहा है।

बेचारी पूजा सिंघल की पूजा में कोई कमी रह गयी थी क्योंकि लगता है कि उन्हें तो उनके पुराने गुरु ने ही इस संकट में डाल दिया है।

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