रोमः इटली के लिए यह राहत की बात है कि चीन से वहां पहुंचे किसी भी यात्री में कोई नया कोरोना वेरियंट नहीं पाया गया है। चीन में अचानक से हुए कोरोना विस्फोट के बाद चीन की चुप्पी की वजह से यह आशंका बनी थी कि कोरोना वायरस ने शायद फिर से चीन में अपना स्वरुप बदला है।
इस बदलाव की वजह से ही चीन में कोरोना संकट गहराया है। इसकी सूचना सार्वजनिक होने के बाद सभी देशों के साथ साथ इटली ने भी खास तौर पर चीन से आने वालों के लिए हवाई अड्डे पर ही कोरोना जांच का इंतजाम किया है। इस जांच में शामिल होने वालों में जो कोरोना संक्रमण पाया गया है, वह ओमीक्रॉन का ही है।
इटली के हवाई अड्डों की जांच में कोई भी कोरोना का नया संक्रमण नहीं पाया गया है। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने कहा है कि अभी इस दिशा में कोई भी ढील देना फिर से सभी को संकट में डालने वाली बात होगी। हाल के दिनों में चीन से अनेक लोग इटली पहुंचे हैं। दूसरी तरफ चीन ने भी अपने यहां के सारे प्रतिबंध हटा लिये हैं। इसके बाद सक्षम लोग जल्द से जल्द वहां से निकलकर दूसरे देशों में पहुंच रहे हैं।
इटली की प्रधानमंत्री ने मीडिया को इस बात की जानकारी दी है कि दूसरे देशों की तरह वहां भी अब कोरोना की जांच के लिए जिनोम सिक्वेंसिंग का तरीका अपनाया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया गया है कि पूर्व की सामान्य जांच में हल्के किस्म का संक्रमण अब पकड़ में नहीं आ रहा है। लेकिन इटली पहुंचने वाले ऐसे सभी संक्रमितों में ओमीक्रॉन वेरियंट ही पाया गया है।
अब तक तीस ऐसे मामलों की जांच में पंद्रह लोग ओमीक्रॉन वायरस से संक्रमित पाये गये हैं। इसलिए प्रधानमंत्री ने अब तक सब कुछ ठीक होने की बात कही है। साथ ही यह दोहराया है कि फिलहाल इसमें कोई छूट नहीं दी जाएगी क्योंकि पूरे देश को फिर से संकट की स्थिति में नहीं डाला जा सकता है। इस बीच इटली के स्वास्थ्य मंत्री ओराजिओ सिसिलासी ने कहा है कि शायद चीन के अपने वैक्सिन की कार्यक्षमता बहुत कम होने की वजह से वह कोरोना संक्रमण पर उतना असरदार नहीं रहा।
इसी वजह से वहां फिर से कोरोना विस्फोट हुआ है। दुनिया के दूसरे देशों में ओमीक्रॉन वेरियंट से पीड़ित लोगों की संख्या अधिक होने के बाद भी उसे जानलेवा स्वरुप नहीं माना गया है। इसके अलावा वैक्सिन का दायरा भी यूरोप के देशों में काफी अधिक हो चुका है।