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किसी वनकर्मी ने उसे लंगड़ाते हुए देखा
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बेहोशी की सूई लगाकर रोका गया उसे
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ईलाज के बाद हाथी अब पूरी तरह स्वस्थ
राष्ट्रीय खबर
कोलकाताः पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा में पशु चिकित्सकों के एक दल ने कमाल कर दिया है। इनलोगों ने वन विभाग की सूचना पर उस जंगली हाथी का ईलाज किया है, जो कहीं पर घायल हो गया था। दरअसल जंगली हाथियों के आने जाने पर भी वन विभाग की नजर रहती है। इसी क्रम में पश्चिम मेदिनीपुर से बांकुड़ा के जंगल में प्रवेश करता हुआ एक बड़ा दल दिख गया था।
जंगली हाथियों के इस झूंड में पचास से अधिक हाथी थे। जिस वन कर्मचारी की इस दल पर नजर पड़ी थी, उसी ने देखा था कि दल में शामिल एक हाथी लंगड़ा कर चल रहा है और ठीक से चल नहीं पा रहा है। इसी सूचना को उसने अपने वरीय अधिकारियों तक पहुंचायी थी। इस सूचना पर वन विभाग ने पशु चिकित्सकों को घायल हाथी का ईलाज करने का आग्रह किया था।
इतने सारे जंगली हाथियों के बीच से एक हाथी को अलग करना भी कम खतरे वाली बात नहीं थी। इसके बाद भी प्रशिक्षित वन कर्मियों ने लंगड़ाकर चलते इस हाथी को पहले उसके दल से अलग किया। उसके बाद उसे बेहोश करने वाली गोली से रोका गया। बेहोशी की दवा के असर से यह हाथी बेहोश होकर जमीन पर लेट गया।
वहां इंतजार कर रहे पशुचिकित्सकों ने हाथी के बेहोश होते ही उसका ईलाज किया जबकि वन विभाग का एक दल इस बात की निगरानी करता रहा कि हाथियों का शेष दल वापस ना लौटे। हाथियों के दल के आगे बढ़ने से भी रोकने की जिम्मेदारी दूसरे दल पर थी क्योंकि इस झूंड के अधिक आगे निकल जाने पर पीछे का अकेला हाथी घबड़ा जाता और रास्ता भटकने के बाद और हिंसक हो जाता।
बेहोश हाथी के पैर में लगी चोट का इलाज करने के लिए पशु चिकित्सकों ने उसके पैर का ऑपरेशन किया। उसके दाहिने पैर में यह गहरा घाव हो गया था। लगातार संक्रमण बढ़ने की वजह से उसमें फाइब्रोसिस नामक बीमारी हो गयी थी। इसी वजह से उसका ऑपरेशन कर संक्रमित घाव को हटाना पड़ा।
ऑपरेशन के बाद हाथी के जख्म में दवाइयां लगाकर उसकी पट्टी कर दी गयी। उसके बाद उसे फिर बेहोशी से होश में लौटने का इंजेक्शन देन के बाद पूरा दल सुरक्षित दूरी पर चला गया। कुछ देर के बाद हाथी बेहोशी से जागा और उठकर खड़ा हुआ। वन विभाग के लोगों ने पाया कि आपसी संवाद के जरिए वह अपने दल के आगे होने की पुष्टि कर चुका।
इस अनोखे ऑपरेशन की जानकारी देते हुए वन विभाग ने बताया है कि बांकुड़ा जिला के विष्णुपुर से दारकेश्वर नद पार कर सोनामुखी ब्लॉक के पास के जंगल में हाथियों का यह दल पहुंचा था। वहीं पर सामन्तमारा गांव के करीब के जंगल में हाथी का यह ईलाज किया गया। अब चिकित्सक भी मानते हैं कि दवा के प्रभाव से यह हाथी शीघ्र ही पूरी तरह ठीक हो जाएगा।