वाशिंगटनः पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति कभी पूरे देश के लिए एक लोकप्रिय नायक हुआ करते थे। अब उनके टैक्स की जांच के तथ्य सामने आने के बाद इस छवि को जबर्दस्त धक्का पहुंचा है। जांच अधिकारियों को पता चला है कि डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी आमदनी के बारे में पूरे देश को गलत जानकारी दी थी।
दरअसल वर्ष 2020 में उनके द्वारा शून्य आमदनी बताया जाना ही उसके खिलाफ जांच का कारण बना है। वरना इसके पहले से छह वर्षों में वह नियमित कर का भुगतान करते आ रहे थे। इस रिपोर्ट से ट्रंप समर्थकों में से उनके अंधभक्तों को गहरा धक्का लगा है जो ट्रंप के एक आह्वान पर मरने मारने पर उतारू हो जाते थे। यह खुलासा तब हो रहा है जबकि डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की इच्छा भी जतायी है।
वैसे समझा जा रहा है कि करचोरी के ऐसे मामलों से उनकी लोकप्रियता तेजी से नीचे आ रही है। हो सकता है कि उनके अपने दल के लोग भी अब दोबारा उनकी उम्मीद्वारी का समर्थन ना करें। राष्ट्रपति के पद पर होते हुए अधिक मात्रा में टैक्स की अदायगी की वजह से वह संदेह के घेरे में हैं। उन्होंने यह कमाई कैसे की, यह जांच अधिकारियों का नया सवाल है।
जांच के क्रम में उनकी आमदनी के भी नये नये स्रोतों का पता चला है, जिनके बारे में ट्रंप ने कभी कोई चर्चा तक नहीं की थी। उन्होंने रियल एस्टेट और निर्माण कार्य में कई संदिग्ध कंपनियों के साथ भी काम किया है, जिसकी पुष्टि अब हो चुकी है। दूसरी तरफ यह भी स्पष्ट हो जाता है कि राष्ट्रपति पद पर होने के दौरान भी वह दूसरे कारोबारों में लिप्त रहे। अपने पद का इस लिहाज से उन्होंने दुरुपयोग भी किया।
एक ऐसी कंपनी के साथ उनका नाम जुड़ा है, जो वास्तव में उत्तर कोरिया के तानाशाह की करीबी कंपनी मानी गयी है। इस कंपनी ने ट्रंप की मदद से दूसरे देशों में भी कई प्रोजेक्ट पूरे किये हैं। दूसरा बड़ा सवाल उन जांच एजेंसियों पर उठा है, जिनकी जिम्मेदारी इसकी जांच की थी। ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर होने के बाद आइआरएस ने उनके इस गोरखधंधे को समझते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं की।
अब सारे राज जब खुल रहे हैं तो यह धीरे धीरे स्पष्ट होता जा रहा है कि दरअसल डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में अपने उग्र राष्ट्रवाद के नारों के बीच निजी कमाई का रास्ता और बेहतर बनाया था। शायद इसी वजह से वह कुर्सी पर बने रहना चाहते थे। अब सत्ता पलट होने के बाद सारे दस्तावेज धीरे धीरे बाहर आ रहे हैं।