राजनीतिसंपादकीय

कोरोना का कंफ्यूजन किस ओर इशारा

कोरोना को फैलने से रोकने से ज्यादा केंद्र सरकार राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को रोकना चाहती है क्या, यह सवाल अचानक से प्रासंगिक हो चुका है। दरअसल पहले दौर में जब राहुल गांधी ने कोरोना महामारी के आने की बात कही थी तो इसी केंद्र सरकार और भाजपा नेताओं ने उनका मजाक उड़ाया था।

प्रधानमंत्री मोदी के आग्रह पर पूरे देश ने ताली और थाली बजायी थी। बाद में क्या कुछ हुआ, सभी की जानकारी में है। सरकारों के फेल हो जाने की वजह से निजी अस्पतालों ने भी आपदा में अवसर खोजने का काम किया, जरूरी दवाइयों की कालाबाजारी हुई। लाखों लोग बिना ऑक्सीजन के दम तोड़ गये, यह भी देश ने देखा है।

देश में वैक्सिन का अभियान युद्धस्तर पर चलाने का दावा किया जा रहा है तो दूसरी तरफ फिर से कोरोना फैलने की आशंका जाहिर की जा रही है। लेकिन इन परस्परविरोधी घटनाओं के बीच ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को रिव्यू मीटिंग ली। मीटिंग करीब दो घंटे चली।

इसके बाद प्रधानमंत्री ने लोगों से मास्क पहनने की अपील की। साथ ही कोरोना की स्थिति पर कड़ी निगरानी रखने, बुजुर्गों के टीकाकरण पर ध्यान देने का निर्देश दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने एयरपोर्ट पर भी बाहर से आने वाले यात्रियों की कड़ी निगरानी किए जाने और जीनोम सिक्वेंसिंग व टेस्टिंग पर ध्यान देने की बात कही। ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि अब बदले हुए स्वरुप वाला कोरोना वायरस सामान्य आरटीपीसीआर टेस्ट में तुरंत पकड़ में नहीं आ रहा है।

इस बीच खबर है कि चीन से लौटे गुजरात में भावनगर शहर के एक कारोबारी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। कारोबारी की रैपिड टेस्ट के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। अब सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए गांधीनगर भेजा गया है। युवक के संपर्क में आए लोगों की पहचान कर उनका भी टेस्ट करवाया जा रहा है।

एक अन्य एनआरआई महिला के अमेरिका से आने के बाद उसकी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आने की खबर है। वैसे केंद्र सरकार की इन आशंकाओं के बीच राहुल गांधी ने एलान कर दिया है कि कुछ भी हो लेकिन भारत जोड़ो यात्रा नहीं रूकेगी। यह बड़ी बात है क्योंकि इससे सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी भी फिर से देश को एक और कोरोना की लहर के खतरे में डाल रहे हैं।

पूर्व के वैज्ञानिक शोधों पर गौर करें तो हर रोज पच्चीस किलोमीटर पैदल चलने वालों को कोरोना होने का खतरा कम है। अगर वे पहले ही वैक्सिन लगा चुके हैं तो एक सौ दिन चलने के बाद उनकी प्रतिरोधक शक्ति और फेफड़े की ताकत कोरोना के विषाणुओँ को पछाड़ने के लिए शक्तिशाली अवस्था में है। लेकिन देश को फिर से कोरोना की दूसरी लहर का दृश्य डराता है।

वैसे संसद के भीतर मास्क पहनने वालों ने संसद के बाहर बिना मास्क का अपना चेहरा दिखाकर यह तो साबित कर ही दिया है कि वे सिर्फ देश को मास्क पहनने का संदेश देना चाहते थे। केंद्रीय मंत्री मांडविया का राहुल गांधी को लिखा गया पत्र का सार भाजपा नेताओँ के व्यक्तिगत आचरण में नजर नहीं आता। वैसे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉक्टर अनिल गोयल ने कहा है कि भारत में लॉकडाउन की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि चीन की तुलना भारत के लोगों की इम्यूनिटी ज्यादा स्ट्रॉन्ग है। भारत की 95% आबादी में कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी बनी है, ऐसे में देश में लॉकडाउन नहीं लगेगा।

इधर, भारत में कोरोना के खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिव्यू मीटिंग की। श्री मोदी ने मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग की अपील की। उन्होंने टेस्टिंग बढ़ाने और कोविड सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग कराने पर जोर दिया। इस बीच केंद्र सरकार ने इंटरनेशनल ट्रेवलर्स के लिए गाइडलाइंस भी जारी कर दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने 20 दिसंबर को राहुल गांधी को चिट्‌ठी लिखकर राहुल से यात्रा रोकने की अपील की थी। इसका जवाब राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान रैली में दिया। राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा रोकने से इनकार कर दिया है।

हरियाणा के नूंह में उन्होंने कहा- केंद्र सरकार ने अब नया फॉर्मूला निकाला है। मुझे चिट्‌ठी लिखी है कि मास्क लगाओ, कोविड फैल रहा है। ये सब यात्रा रोकने के हथकंडे हैं। हिंदुस्तान की सच्चाई से ये लोग डर गए हैं। हमारी यात्रा कश्मीर तक जाएगी। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि लगातार पैदल चलते हुए राहुल जो सवाल उठा रहे हैं, वह अब भाजपा के एजेंडे से अलग है और मजबूरी में संसद के भीतर और बाहर भाजपा को इन सवालों का उत्तर देना पड़ रहा है। उसके अपने पुराने वादे ही उसके गले की घंटी बन गये हैं। इसलिए कोरोना से सावधानी और राजनीति के चाल, दोनों को समझऩा जरूरी हो गया है।

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