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प्रदूषणमुक्त ऊर्जा पैदा करने की तकनीक बनायी गयी

  • सफलता का औपचारिक एलान किया गया

  • फ्यूजन विधि से असीमित ऊर्जा उत्पादन संभव

  • प्रदूषण की भारी समस्या से विश्व को मुक्ति मिलेगी

राष्ट्रीय खबर

रांचीः अमेरिका से एक अत्यंत महत्वपूर्ण सूचना प्रदूषण मुक्त ऊर्जा के उत्पादन के बारे में आयी है। इस दिशा में दशकों से काम चल रहा था और भारत के यादवपुर विश्वविद्यालय में भी इस पर काम हुआ था लेकिन उसका अंतिम परिणाम क्या हुआ, उसकी जानकारी नहीं मिल पायी थी। अब अमेरिका में कैलिफोर्निया के लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी के नेशनल इग्निशन फैसिलिटी में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक एक परमाणु फ्यूजन प्रतिक्रिया का उत्पादन किया है। इससे बड़ी मात्रा में स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन हुआ, जिसका इस्तेमाल कई तरह की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।

यूएस एनर्जी डिपार्टमेंट ने भी इस प्रयोग के सफल होने का एलान किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर सबकुछ सही रहता है तो जीवाश्म ऊर्जा जैसे गैस, पेट्रोल और डीजल से अमेरिका की निर्भरता कम हो सकती है। इसका सबसे बड़ा नुकसान सऊदी अरब, रूस, कतर, ओमान, नाइजीरिया जैसे तेल उत्पादक देशों को हो सकता है।

इससे दुनिया में प्रदूषण का जो खतरा दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है, उसे भी पूरी तरह नियंत्रित करने में उल्लेखनीय मदद मिल सकती है। बता दें कि परमाणु संलयन या न्यूक्लियर फ्यूजन एक मानव निर्मित प्रक्रिया है। इसमें सूर्य को शक्ति प्रदान करने वाली ऊर्जा को कृत्रिम रूप से उत्पादित किया जाता है।

परमाणु संलयन तब होता है जब दो या दो से अधिक परमाणु एक बड़े परमाणु में जुड़ जाते हैं। इस प्रक्रिया में गर्मी के रूप में भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।  इसके ठीक विपरीत फिजन होता है जिसमें एक अणु विखंडित होकर दो या उससे अधिक परमाणु बनते हैं। उससे भी अत्यधिक ऊर्जा निकलती है लेकिन परमाणु विकिरण भी फैलता है। आणविक हथियारों में इसी विधि का उपयोग किया जाता है।

दुनियाभर के वैज्ञानिकों के पास वर्तमान में परमाणु रिएक्टरों में पैदा हो रहे परमाणु कचरे के बिना असीमित और कार्बन मुक्त ऊर्जा मिल सकती है। संलयन प्रोजेक्ट्स मुख्य रूप से ड्यूटेरियम और ट्रिटियम तत्वों का उपयोग करती हैं। ये दोनों हाइड्रोजन के जैसा ही गुण रखते हैं। कार्बन डायरेक्ट के मुख्य वैज्ञानिक और लॉरेंस लिवरमोर के एक पूर्व मुख्य ऊर्जा प्रौद्योगिकीविद् जूलियो फ्रीडमैन ने कहा कि एक गिलास पानी के बराबर ड्यूटेरियम में अगर थोड़ा सा ट्रिटियम मिलाया जाए, तो यह एक घर को एक साल तक बिजली दे सकता है। ट्रिटियम दुर्लभ होता है और प्राप्त करने के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण है। हालांकि, इसे कृत्रिम रूप से बनाया जा सकता है।

कोयले के उलट, आपको केवल थोड़ी मात्रा में हाइड्रोजन की जरूरत होती है। हाइड्रोजन ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली चीज है। हाइड्रोजन पानी में पाया जाता है इसलिए जो पदार्थ इस ऊर्जा को उत्पन्न करता है वह असीमित है और इससे उत्पन होने वाली ऊर्जा साफ भी है।

अमेरिका के ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोल्म ने कहा कि यह प्रयोग सफल रहा है। इसे लॉरेंस लीवरमोर नेशनल लैब में आजमाया गया था। अच्छी बात यह है कि ऐसा प्रयोग पहली बार सफल हुआ है। इस विधि के और विकसित होने की स्थिति में पूरी दुनिया को साफ और खतरा रहित ऊर्जा का असीमित साधन उपलब्ध हो जाएगा। इससे कोयला आधारित ताप विद्युत केंद्रों की निर्भरता कम होगी। जाहिर सी बात है कि इससे पेट्रोल जनिक प्रदूषण भी समाप्त हो जाएगा।

वैज्ञानिकों ने बताया है कि अंतरिक्ष में तारों में भी यह विधि काम करती है। इससे वहां असीमित ऊर्जा का विस्फोट निरंतर हो रहा है। दूसरी तरफ सूर्य में फिजन हो रहा है, जिसमें एक अणु टूटकर दो या उससे अधिक परमाणु में तब्दील हो रहे हैं। इसी वजह से सूर्य से विकिरण भी लगातार निकलता रहता है। सूर्य के बारे में अनुमान है कि वहां पर छह सौ मिलिटन टन हाईड्रोजन से 596 मिलियन टन हिलियम प्रति सेकंड पैदा होता है। उस विधि से अगर विकिरण का खतरा हटा दिया जाए तो यह असीमित ऊर्जा का स्रोत है। इसी विधि को प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक आजमाया गया है।

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