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चौथी बार कोरोना फैलने के बाद अब चीन में ढिलाई दी गयी

  • लॉकडाउन के नियमों में ढील दी गयी

  • वैज्ञानिकों ने एकांतवास के नियम बदले

  • वायरस के नये स्वरुप का विवरण नहीं दिया

राष्ट्रीय खबर

रांचीः चीन की सरकार ने दोबारा से लॉकडाउन के कड़े नियमों में ढील देने का फैसला किया है। इसके बीच अचानक वहां हुए कोरोना विस्फोट के बारे में वहां के वैज्ञानिकों का आकलन है कि इस वायरस के विषाणुओं ने अपना स्वरुप बदल लिया है। इन वैज्ञानिकों ने इसे अब नया नाम देने की वकालत की है। जिसकी पूरी दुनिया में तीखी प्रतिक्रिया हुई है।

दरअसल वुहान के वायरस लैब से यह वायरस लीक हुआ था अथवा नहीं, इस पर विवाद अब भी जारी है। इसलिए लोग चीन के वैज्ञानिकों के किसी भी सलाह को तुरंत ही स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है। इंटरनेट पर नाराज कई लोगों ने इस बदले स्वरुप के वायरस का नाम अब वुहान लैब वायरस रखने तक की बात कह दी है। इससे समझा जा सकता है कि चीन के वैज्ञानिकों की इस बात को अब भी गंभीरता से नहीं लिया गया है।

लोग यह मानते हैं कि चीन को इस तरीके से मुद्दे को भटकाने के बदले अपने नागरिकों के लिए बेहतर वैक्सिन तैयार करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए। अचानक कई इलाकों में कोरोना संक्रमण के फैलने की वजह से चीन के कई प्रांतों में फिर से लॉकडाउन लगाना पड़ा था। इस बार उस फैसले की न सिर्फ आलोचना हुई थी बल्कि लोगों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था।

अब चीन के वैज्ञानिक इन संक्रमित रोगियों की जांच कर लेने के बाद इसमें हुए बदलाव की बात कह रहे हैं। इस क्रम में वहां मामूली तौर पर संक्रमित रोगियों को अपने अपने घरों में ही एकांत में रहने तथा पारंपरिक चीनी दवाइयों का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। वैसे वैज्ञानिकों ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उन्होंने इस वायरस के स्वरुप में क्या नया बदलाव देखा है। इसी वजह से उसका नाम बदलने के सुझाव पर नाराजगी दिखी है।

इस बीच वायरस का नाम बदलने की चर्चा के बीच वुहान लैब से निकले वायरस की चर्चा फिर से होने लगी है। लोग यह मान रहे हैं कि प्राकृतिक तौर पर यह वायरस का आचरण ही होता है कि वह समय समय पर अपना स्वरुप बदलता चला जाता है। इसी वजह से टीबी और मलेरिया की दवाइयों को भी वायरस के स्वरुप में हुए बदलाव की वजह से बदलना पड़ा है।

वैसे इस मुद्दे पर चीन के चाइना एसोसियेशन ऑफ मेडिसींस की इकाई ने सर्वसम्मति से वायरस के स्वरुप में हुए बदलाव को स्वीकार करने की बात कही है। आलोचना होने के बाद इंटरनेट पर यह दलील भी दी गयी है कि वहां के पहले वर्ष 2015 में ऐसा वायरस यूनिवर्सिटी ऑफ नार्थ कैरोलिना में भी तैयार किया गया था। वह वायरस भी चमगादड़ों से लिया गया था और उसमें जेनेटिक संशोधन किये गये थे।

दूसरी तरफ लोगों ने बैट वुमैन के नाम से चर्चित चीनी महिला वैज्ञानिक के पूर्व के दावों का उल्लेख करते हुए कहा है कि खुद उस महिला ने ही एक वैज्ञानिक परिचर्चा में अपने स्तर पर ऐसा वायरस तैयार करने का दावा किया था। अब वायरस के लीक होने के बाद एक प्रमुख अमेरिकी वैज्ञानिक के साथ भी उनकी सांठगांठ के तथ्य सामने आ चुके हैं। इसलिए अगर वायरस ने अपना स्वरुप बदला भी है तो चीन को इस बारे में और अधिक विस्तार से जानकारी देनी चाहिए। साथ ही अपने लोगों को राहत देने के लिए वह वैक्सिन पर क्या काम कर रहा है, यह भी बताना चाहिए। दूसरी तरफ कुछ लोग यह दलील दे रहे हैं कि अगर चीन ने वाकई यह वायरस बनाया था तो वह अपने ही देश के लोगों पर इसका प्रयोग क्यों करेगा।

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