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सरकारी कारोबार में पहले चूहे पी जाते थे शराब
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राजस्व के लिहाज से फिर से हो रहा है नुकसान
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बैंक खातों में अचानक पैसा आने से संदेह बढ़ा
राष्ट्रीय खबर
रांचीः झारखंड में पहले भी गोदामों में रखी शराब को चूहे पी जाया करते थे। सरकारी देखरेख में इसके संचालन में सरकार को राजस्व का नुकसान होने की वजह से उसे पूर्व स्थिति में बहाल किया गया था। अब फिर से यह सरकारी नियंत्रण में है। अब केंद्रीय एजेंसियों की नजर इस कारोबार पर पड़ते ही कई बैंक खातों में बेहिसाब पैसा जमा होने का मामला फंस रहा है।
याद दिला दें कि इसी किस्म के आबकारी के एक फैसले ने दिल्ली के मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर भी छापा पड़वा दिया था। यह अलग बात है कि बाद में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट से उनका नाम अभी हटा दिया है। दूसरी तरफ इसी दिल्ली के आबकारी घोटाला में तेलंगना के मुख्यमंत्री की पुत्री का नाम जुड़ गया है।
अब झारखंड के शराब कारोबार पर भी केंद्रीय एजेंसियों पैसे की आमद और खर्च पर ध्यान दे रही हैं। इसी वजह से अब राज्य सरकार भी इस पर सतर्क हुई है। बताया गया है कि राज्य सरकार शराब कारोबार के जरिए राजस्व बढ़ाने का प्रयास कर रही है। नई व्यवस्था में सरकार को तुलनात्मक तौर पर कम राजस्व की प्राप्ति होना चिंता का विषय है। अब सरकार ने शराब कारोबार में सूचना तकनीक का इस्तेमाल करने की तैयारी की है। झारखंड राज्य बिवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड, रांची (झारखंड सरकार) ने इसके लिए पहल की है।
कॉर्पोरेशन के एमडी की ओर से आईटी सेवाओं और इसके अधिष्ठापन के संबंध में टेंडर भी जारी कर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि राज्य के सभी विनिर्माणशाला, संचयनकर्ता (स्टॉकिस्ट) के गोदामों (वेयरहाउस) में शराब के विनिर्माण, आपूर्ति, भंडार और बिक्री का पर्यवेक्षण किया जाएगा। इसके लिए सेंट्रलाइज्ड वीडियो मॉनिटरिंग सिस्टम ऑफ कैमरा का उपयोग शुरू होगा। सर्वर और अन्य उपकरणों के साथ कैमरा लगाए जाने की व्यवस्था से आबकारी नीति के कारोबार में पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
वेयरहाउस और अन्य जगहों पर कैमरा लगाए जाने को कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने निविदा जारी की है। गौरतलब है कि पिछले दिनों सीएम हेमंत सोरेन ने आबकारी विभाग की समीक्षा की थी। शराब कारोबार से लक्ष्य से कम राजस्व प्राप्ति पर नाराज़गी जताई थी। कॉर्पोरेशन लिमिटेड और इसके कारोबार से जुड़े सभी संबंधित पक्षों को इसमें जरूरी सुधार लाने को कहा था।