जकार्ताः इंडोनेशिया के माउंट सेमारू ज्वालामुखी से भी अब आग और राख निकलना प्रारंभ हो गया है। हवाई द्वीप के माओना लोवा में जारी ज्वालामुखी विस्फोट के बीच ही यह सूचना आयी है। लेकिन इंडोनेशिया के इस सबसे ऊंचे जीवंत ज्वालामुखी की चुनौतियों अधिक कठिन है क्योंकि इसके काफी करीब तक इंसानी आबादी बसी हुई है।
रविवार को यह देखा गया कि पहाड़ का एक हिस्सा अचानक धंस गया। बताया गया है कि बारिश की वजह से चट्टानों की ऊपरी परत को नुकसान पहुंचने के बाद उसके शिखर से धुआं के बाद लावा प्रवाह चालू हो गया। यह पर्वत शिखर करीब 12 हजार साठ फीट की ऊंचाई पर है।
आपदा राहत केंद्र ने इसके तुरंत बाद चेतावनी संकेत जारी कर दिया है। राख निकलने की वजह से आस पास के कई गांवों में यह राख फैल गयी है। अब तक किसी को नुकसान पहुंचने की कोई सूचना नहीं है लेकिन लोगों को इस राख लगे चेहरों के साथ दूर जाते देखा जा रहा है। ज्वालामुखी की राख रासायनिक कारणों से जहां गिरती है वहां चिपक जाती है। इससे कई गांव और वहां के घर इसकी चपेट में आ गये हैं।
इसकी गतिविधियों पर वैज्ञानिक नजर रखे हुए हैं। इसी क्रम में यह पता गया है कि वहां से निकली राख और धुआं आसमान में करीब डेढ़ हजार मीटर की ऊंचाई तक जाने के बाद चारों तरफ फैलती जा रही है। इस वजह से आसमान से रोशनी भी ढक गयी है और लावा प्रवाह को धीरे धीरे नीचे उतरता हुआ देखा जा रहा है। आस पास के आठ किलोमीटर के इलाके को खतरनाक क्षेत्र घोषित कर दिया गया है।
इस ज्वालामुखी में पिछल दिसंबर माह यानी वर्ष 2021 के दिसंबर में भी विस्फोट हुआ था। उस दौरान इसके अचानक विस्फोट की चपेट में आने वाले 51 लोग मारे गये थे। सैकड़ों लोगों को गर्म राख की वजह से नुकसान पहुंचा था और दस हजार लोगों को आनन फानन में हटाना पड़ा था। इस जीवंत ज्वालामुखी के बारे में पता है कि यह पिछले दो सौ वर्षों से सक्रिय है। इसके अलावा भी इंडोनेशिया में 129 जीवंत ज्वालामुखी मौजूद हैं।