एनडीटीवी पर अब अडानी समूह का अधिकार हो गया है। कर्ज संबंधी पचड़े में फंसने के बाद इसका फैसला इस मीडिया घराने के संस्थापकों के खिलाफ गया था। जिस वजह से अब प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड से इस्तीफा दे दिया है। दोनों का इस्तीफा ऐसे वक्त में आया है जब अडानी ग्रुप न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड के अधिग्रहण के लिए ओपन ऑफर लाया है।
एनडीटीवी ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को प्रणय रॉय और राधिका रॉय के इस्तीफे की जानकारी दी है। लेकिन यह कहानी सिर्फ यही तक समाप्त नहीं होगी, इसके स्पष्ट आसार दिखने लगे हैं। हाल के दिनों में भावी बदलाव के आसार साफ साफ दिखने लगे हैं। अब तक तो यही माना जाता रहा है कि इन मीडिया घरानों ने सरकार के सामने घुटने टेक दिये थे।
दूसरी तरफ भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी के तेवर के साथ साथ अन्य विपक्षी दलों का रवैया भी अब उन चैनलों के खिलाफ आक्रामक हो गया है, जो सोशल मीडिया में अब गोदी मीडिया के सामने से जाने जाते हैं। बदलती परिस्थितियों और संभावित परिणति का आभाष मीडिया घरानों को भी है। इसलिए अब वे विपक्ष को भी पर्याप्त समय देने लगे हैं, जिसकी पहले कल्पना तक नहीं की जाती थी।
वैसे एनडीटीवी के मामले में पता चला है कि अडानी समूह ने समाचार मीडिया कंपनी नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड के प्रमोटर समूह वाहन आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड में 99.5 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली है। अडानी ग्रुप ने अगस्त में ही विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड का अधिग्रहण करने का एलान किया था। विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड ने ही साल 2009 और 2010 में एनडीटीवी के बिजनेस प्रमोटर आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड को 403.85 करोड़ रुपये उधार के तौर पर दिए थे। इसके बदले में कर्जदाता से किसी भी समय एनडीटीवी में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने का प्रावधान रखा गया था। अब अडानी ग्रुप कंपनी अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए खुली पेशकश लाया है। बीते 23 अगस्त को गौतम अडानी की अगुवाई वाले अडानी समूह ने एनडीटीवी में 29.18 प्रतिशत हिस्सा अधिग्रहित कर लिया था।
तभी अडानी ग्रुप ने एनडीटीवी में और 26 फीसदी हिस्सेदारी के लिए मार्केट में ओपन ऑफर लाने का एलान किया था। इसी कड़ी में अडानी ग्रुप बीते 22 नवंबर को ओपन ऑफर लाया था, जो अभी 5 दिसम्बर तक खुला है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को लिखे पत्र में कहा गया है कि 29 नवंबर को हुए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में संजय पुगलिया, सुदीप्त भट्टाचार्य, सेंथिल सिनेया चेंगलवार्यन को तत्काल प्रभाव से आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के बोर्ड में डायरेक्टर नियुक्त किया गया है।
इसी बोर्ड मीटिंग में प्रणय रॉय और राधिका रॉय का बतौर डायरेक्टर, तत्काल प्रभाव से इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया गया है। इसके आगे की कहानी क्या होगी, इस पर में समझा जा सकता है। कुछ बड़े पत्रकार इस मामले में सरकार समर्थक होने का ठप्पा अपने ऊपर लगा चुके हैं और इससे अब उन्हें कोई ग्लानि भी महसूस नहीं होती। लिहाजा यह समझा जाना चाहिए कि सोशल मीडिया के हाल के दिनों में तेजी से विस्तार का एक कारण यह भी रहा है।
अधिकांश मीडिया चैनल भाजपा द्वारा उपलब्ध कराये गये सत्येंद्र जैन के जेल के अंदर का वीडियो दिखा रहे हैं। किसी ने अब तक भाजपा से यह प्रश्न नहीं किया है कि आखिर यह वीडियो उन्हें उपलब्ध कौन करा रहा है। जाहिर सी बात है कि इस सीसीटीवी फुटेज की रिकार्डिंग जहां होती है, वहां से इन्हें हासिल किया जा सकता था अथवा जिस कंपनी ने वहां यह कैमरे लगाये हैं, वह अपनी तरफ से इन वीडियो को लीक कर रहा है।
लेकिन मसला इससे आगे का है कि जिस अरविंद केजरीवाल को पहले मीडिया स्थान देना तो दूर बात करना तक पसंद नहीं करती थी, अब उन्हें अपनी बात रखने की खुली छूट दी जा रही है। ऐसे कार्यक्रमों में बैठकर ही केजरीवाल मीडिया पर ही सवाल कर रहे हैं, जिनका प्रसारण भी हो रहा है। स्थापित मीडिया घराने अपने मुख्य कार्यक्रमों में भले ही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को नहीं दिखा रहे हैं लेकिन अब उनके सोशल मीडिया पेजों पर यह खबर नजर आने लगी है।
इसलिए समझा जाना चाहिए कि अगर राजनीति ने करवट ली तो कुछ मीडिया घरानों और गोदी मीडिया के तौर पर चर्चित हो चुके पत्रकारों पर शामत आ जाएगी। विपक्ष का मीडिया के प्रति जो आक्रामक रुख है, वह इसी भविष्य को दर्शा रहा है। दरअसल लगातार सर्वेक्षण, लोकप्रियता औऱ अन्य उपलब्धियों के सरकारी आंकड़ों का प्रचार भी अब जनता को प्रभावित नहीं कर पा रहा है। ऐसे में भविष्य में अगर मोदी की सरकार नहीं रही तो क्या होगा, इसे समझने के लिए रॉकेट साइंस की जानकारी आवश्यक नहीं है।