भले ही चुनावी मजबूरी हो अथवा कुछ और, केंद्र सरकार के मुखिया रोजगार पर बोल रहे हैं, यही बड़ी बात है। कमसे कम यह स्पष्ट हो गया है कि गुजरात चुनाव की मजबूरी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर बात करने को विवश कर दिया है। स्थापित मीडिया में भले ही इस विषय को लगातार दरकिनार किया जाता रहा हो लेकिन इस बार गुजरात के दोनों विपक्षी दलों ने अपने अपने चुनाव प्रचार में इस मुद्दे को इतनी शिद्दत के साथ उठाया है कि अब न चाहते हुए भी रोजगार पर बात हो रही है। युवाओं को एक साथ रोजगार देने के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री को यह कहना पड़ा है कि यह क्रम आगे भी जारी रहेगा।
प्र्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को रोजगार मेला के तहत नव नियुक्त कर्मियों को करीब 71,000 नियुक्ति पत्र सौंपते हुए उनसे विभिन्न सरकारी विभागों में अपनी भूमिका निभाते हुए क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि मैं देश के युवाओं से नए अवसरों का लाभ उठाने का आग्रह करूंगा। मुझे विश्वास है कि आप अपनी क्षमता बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। आज के नियुक्ति पत्र महज से प्रवेश का जरिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के युवाओं को रोजगार के माध्यम से नियुक्ति पत्र देने का यह अभियान ऐसे ही अनवरत जारी रहेगा। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने युवाओं को राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत बताया और कहा कि युवाओं की प्रतिभा और उनकी ऊर्जा राष्ट्र निर्माण में ज्यादा से ज्यादा उपयोग में आए, इसे केंद्र सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि काम करते समय अपनी क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान दें। सीखते समय अपनी क्षमताओं को बढ़ाएं। अपने वरिष्ठों से अच्छी चीजें सीखें।
मैं लगातार सीखने की कोशिश करता हूं। मैं अपने अंदर के छात्र को कभी मरने नहीं देता। मैं हर किसी से, छोटी-छोटी चीजों से सीखता रहता हूं। उन्होंने कहा कि इसी आदत के कारण वह एक समय में एक से अधिक कार्य करने की क्षमता रखते हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे (प्रधानमंत्री) एक समय में एक से अधिक काम संभालने में कभी भी किसी तरह की हिचकिचाहट नहीं होती है। श्री मोदी ने कहा कि रोजगार मेला युवाओं को सशक्त बनाने और उन्हें राष्ट्रीय विकास में उत्प्रेरक बनाने का सरकार का प्रयास है। उन्होंने कहा कि यह रोजगार मेला दर्शाता है कि सरकार किस तरह मिशन मोड में सरकारी नौकरी देने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश को छोड़कर देश भर में 45 स्थानों पर कर्मचारियों को नई नियुक्तियों के नियुक्ति पत्र की प्रतियां भी सौंपी गईं।
प्रधानमंत्री ने कहा इससे पहले अक्टूबर महीने में रोजगार मेला की शुरुआत की थी। पिछली बार जिन श्रेणियों में युवाओं को नियुक्ति दी गई थी, उनके अतिरिक्त इस बार शिक्षक, व्याख्याता, नर्स, नर्सिंग अधिकारी, चिकित्सक, फार्मासिस्ट, रेडियाग्राफर और अन्य तकनीकी और पैरा मेडिकल पदों पर भी नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय द्वारा विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में बड़ी संख्या में पद भरे जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कर्मयोगी प्रथम मॉड्यूल का भी शुभारंभ किया। मॉड्यूल विभिन्न सरकारी विभागों में सभी नए नियुक्त लोगों के लिए एक ऑनलाइन ओरियेटेशन पाठ्यक्रम है। ऐसा कार्यक्रम सेना में पहले से चलता आ रहा है ताकि रिटायर होने के बाद सैनिक वैकल्पिक रोजगार तलाश सकें। इसमें सरकारी कर्मचारियों के लिए आचार संहिता, कार्यस्थल नैतिकता और ईमानदारी, मानव संसाधन नीतियां और अन्य लाभ व भत्ते से संबंधित जानकारियां शामिल होंगी, जो उन्हें नीतियों के अनुकूल तथा नयी भूमिका में आसानी से ढलने में मदद करेंगी।
उल्लेखनीय है कि कि प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रालयों और विभागों को स्वीकृत पदों की मौजूदा रिक्तियों को यथाशीघ्र भरने का निर्देश दिया था। श्री खड़गे ने कहा है कि गुजरात विधानसभा चुनावों के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने मतदाताओं को गुमराह करने के लिए 71,000 नौकरी पत्र वितरित कर रहे हैं।
उन्होंने विभिन्न विभागों में 30 लाख पद खाली होने का दावा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। आठ साल में सोलह करोड़ नौकरियां दी जानी थीं, लेकिन यह महज चुनावी स्टंट है, जिसमें केवल हजारों को रोजगार मिला। ऐसी बयानबाजी और एक दूसरे के खिलाफ आरोप प्रत्यारोप लगाना भारतीय राजनीति में आम बात है। फिर भी अब कमसे कम जनता के असली मुद्दों पर बात हो रही है,
यही बड़ी बात है। दरअसल इस दबाव के पीछे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का भी असर है। जिसकी वजह से पहली बार ऐसा महसूस हो रहा है कि भाजपा अपने एजेंडे पर काम नहीं कर पा रही है और राहुल द्वारा उठाये जा रहे मुद्दों पर सरकार में होने के नाते उन्हें सफाई देनी पड़ रही है।