लंदनः ब्रिटिश की प्रमुख गुप्तचर संस्था एम 15 के प्रमुख केन मैकूलम का मानना है कि यूक्रेन युद्ध ने पूरे यूरोप में रूस के जासूसी तंत्र को जबर्दस्त झटका दिया है। उन्होंने कहा कि रूस के हमले के बाद पश्चिमी देशों का नजरिया बदलने के साथ साथ सतर्कता भी बढ़ी है। अनेक किस्म के प्रतिबंधों की वजह से भी अब रूसी जासूस सक्रिय नहीं रह पा रहे हैं।
इसका उदाहरण ब्रिटेन है, जिसनें प्रतिबंध लगाने के बाद सैकड़ों रूसी राजनयिकों को वीसा देने से इंकार कर दिया है। इससे यूरोप के इलाके मे सक्रिय जासूसों को रूस से मदद भी नहीं मिल पा रही है। उनके मुताबिक यूरोप के विभिन्न देशों से अब तक छह सौ रूसी अधिकारी निकाले जा चुके हैं। इनमें से चार सौ के जासूसी में शामिल होने का भी संदेह था। ऐसे लोगों को देश के बाहर निकाल दिये जाने की वजह से उनका नेटवर्क भी बाधित हो गया है।
उन्होंने कहा कि अकेले ब्रिटेन से 23 ऐसे अधिकारी निकाले गये हैं, जिनपर जासूसी में लिप्त होने का आरोप था। उसके बाद से ब्रिटेन ने करीब एक सौ से अधिक वीसा के आवेदनों को अस्वीकार कर दिया है। इससे नये सिरे से रूसी जासूसी नेटवर्क पनप भी नहीं पा रहा है। यह सब कुछ इसलिए संभव हुआ क्योंकि रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किये जाने की वजह से सारे देश अब चौकन्ना हो गये हैं।
वैसे उन्होंने इसी क्रम में स्पष्ट कर दिया कि इसके बाद भी रूस किसी न किसी तरीके से यूरोप में अपना प्रभाव बनाये रखने की साजिशों को अंजाम देगा। यूरोपीय देशों में रूसी जासूसों को बारे में आपस में आंकड़ों को साझा किया है। इससे एक देश से निकाले गये कथित जासूस के दूसरे देश में जगह लेने की संभावना भी कम हो गयी है। सभी देशों के पास ऐसे संदिग्ध चरित्रों की पूरी जानकारी है। इसलिए इस किस्म के प्रशिक्षित जासूसों की बहुत बड़ी फौज रूस के पास होने के बाद भी उसका कोई लाभ वे नहीं ले पा रहे हैं।