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ड्रीलिंग में कैमरे का इस्तेमाल हुआ था
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स्पंज जैसा ही नजर आते हैं दोनों प्राणी
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एक लाल रंग का तो दूसरा सफेद रंग का
राष्ट्रीय खबर
रांचीः अंटार्कटिका के गहरे बर्फ के नीचे भी जीवन हो सकता है, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। अब इसका पता चलने के बाद इस घटना को एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना गया है। शोध दल ने कहा है कि ऐसा शायद लाखों साल में एक बार होता है। इससे साफ हो गया है कि हमारा विज्ञान आज भी समुद्र की गहराइयों के बारे में पूरी जानकारी नहीं हासिल कर पाया है।
अंटार्कटिका में तीन हजार फीट बर्फ के नीचे भी जीवन हो सकता है, इस दृश्य ने विज्ञान को अचंभित कर दिया है। इतनी अधिक गहराई में दो किस्म के जीवन पाये गये हैं। फिलहाल उनका वर्गीकरण भी नहीं किया जा सका है। दरअसल यहां भी कोई जीवन हो सकता है, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। अब इनकी पहचान के साथ साथ उनके नामकरण की प्रक्रिया भी चल रही है। इसके लिए शोध दल इस जीवन के और अधिक आंकड़े एकत्रित कर रहा है।
यह घटना हैरानी की बात इसलिए है क्योंकि उस गहराई और तापमान में किसी जीवन के होने की उम्मीद किसी को नहीं थी। खुद शोध दल के लोग मानते हैं कि उन्हें इसकी जानकारी आश्चर्यजनक तरीके से मिली है क्योंकि वे तो यहां कुछ और काम कर रहे थे। अब इसका पता चल जाने के बाद प्रसिद्ध पत्रिका मेरिन साइंस में इस बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की गयी है।
इतनी अधिक गहराई और ठंडे तापमान मे कोई जीवन हो सकता है, यह अब जाकर प्रमाणित हुआ है। वरना पहले इसकी कल्पना भी नहीं की गयी थी। विज्ञान के हिसाब से सूर्य की रोशनी नहीं होने की वजह से भी वहां जीवन का होना असंभव था। लेकिन अब यह असंभव भी संभव प्रमाणित हो चुका है। इतनी अधिक गहराई में इन जीवों को एक पत्थऱ से चिपका हुआ पाया गया है। एक ब्रिटिश दल ने फ्लीचर रोन्ने बर्फखंड के नीचे इतनी अधिक गहराई तक ड्रील किया था।
इस काम में कैमरे का भी इस्तेमाल हो रहा था। जिस कारण गहरे काले रंग के पत्थर में चिपके हुए यह प्राणी नजर आये हैं। इसे देखने वाले वैज्ञानिक हू ग्रीफिथ ने कहा कि इस परिस्थिति में भी जीवन विकसित हो सकता है, इसका पहली बार पता चला है। देखने पर यह प्राणी भी समुद्र के नीचे पाये जाने वाले स्पंज की तरह नजर आये हैं। लेकिन अभी जांच किये जाने की जरूरत है।
अंटार्कटिका का यह विशाल बर्फखंड करीब पौने छह लाख वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला हुआ है। इसके बहुत कम हिस्से के बारे में अब तक जानकारी मिल पायी है। यह शोध दल वहां बर्फखंड के नीचे के समुद्र तल से नमूने एकत्रित करने के काम में जुटा था। इसके बीच ही यह जानकारी सामने आयी है। कैमरे में दो किस्म के प्राणी नजर आये हैं। इनमें से एक का रंग लाल जैसा है जबकि दूसरा सफेद रंग का है। दोनों ही स्पंज के जैसा ही दिखते हैं।
खुले समुद्र से करीब 160 मील की दूरी पर उन्हें खोजा गया है। वहां पर यह प्राणी कैसे पहुंचे और उस परिस्थिति में जीने के लिए उनके भोजन का आधार क्या है, इन प्रश्नों का उत्तर अभी नहीं मिल पाया है। अभी तो वैज्ञानिक पूर्व के किसी प्रजाति से यह मिलते जुलते नजर आते हैं अथवा नहीं, उसकी जांच करने मे जुटे हैं।