उम्र की वजह से हटना चाहते थे वामपंथी नेता माणिक सरकार
राष्ट्रीय खबर
अगरतलाः गत 28 जनवरी को उनकी आयु 76 वर्ष हो गई। हमें नियमों के अनुसार चलना चाहिए। वह खुद को छोड़ना चाहता था. लेकिन त्रिपुरा माकपा ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य माणिक सरकार को राज्य समिति में बरकरार रखा गया है।
त्रिपुरा में माकपा का तीन दिवसीय राज्य सम्मेलन शुक्रवार को संपन्न हुआ। पूर्व सांसद और त्रिपुरा के विपक्षी नेता जितेंद्र चौधरी को फिर से वहां राज्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। माकपा सूत्रों से प्राप्त नई राज्य कमेटी की सूची में पहला नाम माणिक का है। माकपा ने नियम बनाया है कि 75 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति पार्टी की केंद्रीय समिति में नहीं हो सकता।
राज्य समितियों के मामले में यह आयु सीमा और भी कम है। कहीं यह 72 है, कहीं यह 73 है। उस नियम के अनुसार, माणिक सहित सात पोलित ब्यूरो सदस्यों को अगली पार्टी कांग्रेस में नेतृत्व से हटना होगा। लेकिन माणिक को राज्य समिति में बनाए रखने से इस बात की अटकलें लगने लगी हैं कि क्या उन्हें केंद्रीय समिति और पोलित ब्यूरो में बनाए रखा जाएगा।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को उनकी उम्र के बावजूद, पिछली पार्टी कांग्रेस में एक अपवाद के रूप में पोलित ब्यूरो में बरकरार रखा गया था। विजयन और माणिक के अलावा, इस बार जिन लोगों के बाहर होने की संभावना है उनमें प्रकाश करात, वृंदा करात, सुहासिनी अली, सूर्यकांत मिश्रा और जी रामकृष्णन शामिल हैं। यदि इसे लागू किया गया तो माकपा के पोलित ब्यूरो में पीढ़ी बदल जाएगी। लेकिन माणिक को राज्य कमेटी में रखे जाने के बाद पार्टी ऐसा जोखिम लेगी या नहीं, इस पर संदेह बढ़ने लगा है।
नियमों का उल्लंघन कर माणिक को क्यों रखा गया? राज्य सचिव जितेन्द्र ने कहा, वह जाना चाहते थे लेकिन हमने कहा कि पार्टी को उनके जैसे अधिक अनुभवी नेताओं की जरूरत है। उन्हें विशेष अपवाद के तौर पर राज्य समिति में रखा गया है। जितेंद्र ने कहा कि अगरतला सम्मेलन में मौजूद पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रकाश, वृंदा, अशोक धवल ने भी माणिक को रखने की अनुमति दी थी। पूर्व मुख्यमंत्री माणिक भी नए राज्य सचिवालय में हैं। माणिक के साथ-साथ माकपा ने एक अन्य वरिष्ठ नेता अघोर देबबर्मा को भी राज्य समिति में ‘असाधारण’ सदस्य के रूप में बरकरार रखा है।
पिछले कुछ महीनों से त्रिपुरा माकपा में इस बात पर चर्चा चल रही है कि राज्य सचिव कौन होगा। क्योंकि जितेन्द्र दोहरी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। एक तरफ राज्य सचिव हैं, दूसरी तरफ विपक्ष के नेता हैं। पार्टी का एक वर्ग चाहता था कि जितेन्द्र विपक्ष के नेता बने रहें। माणिक डे को प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। पार्टी के भीतर एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत भी प्रचलित था। लेकिन यह तर्क में ज्यादा देर तक नहीं टिकी। सम्मेलन ने जितेन्द्र को पुनः राज्य सचिव चुना है।