अंदरखाने से मिल रहे उथलपुथल के बड़े संकेत
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दिल्ली के माहौल पर टिकी हैं नजरें
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चुनावी पराजय के बाद भविष्य की चिंता
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झामुमो का आकर्षण खींच रहा है कई लोगों को
राष्ट्रीय खबर
रांचीः झारखंड भाजपा क्या किसी तूफान की प्रतीक्षा में है। अंदरखाने से जो संकेत निकलकर आ रहे हैं, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य के कई भाजपा नेताओं ने अब अपना ठिकाना बदलने की तैयारी की है। दरअसल पार्टी में कई किस्म की गुटबाजी की वजह से हाशिये पर धकेले जा रहे नेताओं के समर्थक ही इस चर्चा को अधिक हवा दे रहे हैं। वैसे यह स्पष्ट है कि प्रदेश भाजपा में फिलहाल दिल्ली का विधानसभा चुनाव संपन्न होने तक शांति रहेगी और नये राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन होने तक ऐसे अनुभवी नेता हवा का रुख बदलने की प्रतीक्षा अवश्य करेंगे।
विधानसभा चुनाव में भाजपा की पराजय के बाद से ही माहौल का बदलना प्रारंभ हो गया था। प्रदेश स्तर के नेता संगठन में अचानक आयी इस सुस्ती की असली वजह असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को बताते हैं, जिन्होंने चुनाव के वक्त पूरे संगठन को ही हाईजैक कर लिया था।
प्रदेश स्तर के जनाधार वाले नेताओं को नजरअंदाज किये जाने तथा स्थानीय मुद्दों पर पार्टी का पक्ष साफ नहीं करने का कुपरिणाम सामने आया। दूसरी तरफ जिस संथाल परगना इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को बार बार उठाया गया, चुनाव में वह मुद्दा ही मतदाताओं के बहुमत पर असर नहीं डाल पाया। दूसरी तरफ रघुवर दास के राज में लिये गये कई फैसलों से नाराज आदिवासी समाज और भी कटता चला गया और पार्टी के स्थापित आदिवासी नेता भी इस माहौल को न सिर्फ अच्छी तरह समझ रहे थे बल्कि इनमें से कुछ लोगों ने इस विषय पर दिल्ली के बड़े नेताओं का ध्यान भी आकृष्ट किया था।
चुनाव निपट जाने के बाद अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में जुटे नेताओं में से अनेक लोग अब अगले पांच साल तक किसके भरोसे राजनीति करेंगे, इस सवाल से जूझ रहे हैं। भाजपा के अंदर भी यह सवाल उभर रहा है कि पार्टी का अपना भविष्य क्या होगा। दरअसल दो बड़े दलों के समर्थन से चल रही केंद्र सरकार का भविष्य बिहार चुनाव के पहले क्या होगा, इस पर पार्टी के अंदर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पार्टी में दूसरी चर्चा नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के पूरा होने को लेकर भी है। प्रदेश स्तर पर भी कई बार इसकी गुपचुप चर्चा होती है कि क्या नरेंद्र मोदी अपना कार्यकाल पूरा करेंगे।
कुल मिलाकर पार्टी के अंदर औऱ बाहर की चुनौतियों की वजह से नेता अपना बेहतर भविष्य तलाश रहे हैं और दोनों तरफ से चुप्पी के बाद भी यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि अंदरखाने में कई भाजपा नेता झामुमो के नेताओँ से संपर्क बनाये हुए हैं। इसके अलावा झामुमो से भाजपा आये नेताओं की भी घरवापसी की चर्चा अब भी जारी है।