सीबीआई, ईडी को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
-
हमेशा जांच अधिकारी के पास पेश होने का आदेश
-
मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी
-
निर्देश के मुताबिक साठ बार पेश हो चुके है
नयी दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने आबकारी नीति कथित घोटाले के मामलों में जमानत की शर्तों में शामिल जांच अधिकारी के समक्ष हाजिरी लगाने में ढील देने की दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की याचिका पर शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने श्री सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद दोनों केंद्रीय एजेंसियों को अपना-अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि वह इस मामले में दो सप्ताह बाद विचार करेगी। साथ ही, यह स्पष्ट किया कि वह अगली सुनवाई की तारीख पर आवेदन पर फैसला करेगी।
श्री सिंघवी ने अपनी दलील में कहा कि वह (सिसोदिया) सम्मानित व्यक्ति हैं। अदालती आदेश का पालन करते हुए वह संबंधित जांच अधिकारी के समक्ष लगभग 60 बार पेश हो चुके हैं। उन्होंने मामले में सुनवाई की नजदीकी तारीख मुकर्रर करने की अदालत से गुहार लगाई, क्योंकि उन्हें डर है कि दूसरा पक्ष (ईडी- सीबीआई) मामले में स्थगन की मांग कर सकता है।
शीर्ष अदालत ने गत नौ अगस्त, 2024 को आरोपी सिसोदिया को -सीबीआई और ईडी- दोनों मामलों में जमानत दे दी थी। शीर्ष अदालत ने जमानत मंजूर करते समय पाया था कि मुकदमे में देरी और लंबे समय तक जेल में रहने से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के उनके (सिसोदिया) अधिकार पर असर पड़ता है।
शीर्ष अदालत ने जमानत की शर्तों में सिसोदिया को हर सोमवार और गुरुवार को सुबह 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी के सामने पेश होने का आदेश दिया था। इसके बाद अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 21 मई, 2024 के आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार किया गया था।
श्री सिसोदिया ने प्रत्येक सोमवार और गुरुवार को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने के लिए जमानत शर्तों में ढील देने की गुहार लगाई है। आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता सिसोदिया को 26 फरवरी, 2023 को उपमुख्यमंत्री रहने के दौरान गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।