सेना के पेंशन के नियमों में सुधार का काम जारी
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः केंद्र सेना पेंशन नियमों में सुधार करेगा, पत्नी-माता-पिता के बीच हिस्सेदारी होगी। अगर सेना के किसी जवान या कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान मौत हो जाती है तो मुआवजा राशि किसे मिलेगी? किसे मिलेगी पेंशन? केंद्र ने शुक्रवार को संसद में इस मामले पर अपनी राय स्पष्ट की है।
शुक्रवार को कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने लोकसभा में पूछा कि अगर सेना का कोई जवान ड्यूटी के दौरान शहीद होता है तो एकमुश्त मुआवजा और पेंशन किसे मिलेगी? इस सवाल के जवाब से संकेत मिलता है कि भविष्य में केंद्र पेंशन के पैसे को शहीद की पत्नी और माता-पिता के बीच बांटने की राह पर चल सकता है।
शुक्रवार को इमरान के सवाल के जवाब में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा कि उन्हें पहले ही मिल चुका है पारिवारिक पेंशन को शहीद के माता-पिता और पत्नी के बीच बांटने का प्रस्ताव। केंद्र इस प्रस्ताव पर विचार कर जल्द फैसला देगा। हाल ही में शहीद जवानों के माता-पिता ने भी वित्तीय सहायता के लिए सेना से संपर्क किया है और नेक्स्ट टू बाय कानून में संशोधन की मांग की है।
बताया जा रहा है कि इसके बाद सेना ने रक्षा मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है। हालांकि, केंद्र ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि नियमों में क्या बदलाव किए जाएंगे। यह मुद्दा अभी भी चर्चा में है।
सेना में पेंशन को लेकर विवाद एक महीने पहले भारतीय सेना के कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र दिए जाने से शुरू हुआ था। अंशुमन के माता-पिता ने दावा किया कि उनकी बहू कीर्ति चक्र और सारा पैसा लेकर घर से चली गई। इसके बाद वे सेना की नेक्स्ट ऑफ किन नीति को बदलने की मांग करने लगे। संयोग से, कैप्टन अंगशुमन सेना की चिकित्सा सेवा के एक अधिकारी थे।
वे जुलाई 2023 में सियाचिन में ड्यूटी पर थे। यहीं पर 19 जुलाई को आर्मी कैंप के गोला बारूद भंडार कक्ष में आग लग गई थी। तीन साथियों और मेडिकल उपकरणों को बचाने की कोशिश में अंशुमान की जलकर मौत हो गई। उनका मरणोपरांत सम्मान ‘कीर्ति चक्र’ इस साल 5 जुलाई को अंशुमन की मां और पत्नी को प्रदान किया गया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिया। घटना के कुछ दिनों बाद कैप्टन के पिता और मां ने दावा किया कि उनकी बहू कीर्ति चक्र अपने साथ अपने पिता के घर ले गई है। उसने अपना पता बदल लिया है। साथ ही अंशुमन के कपड़े, फोटो, सारे दस्तावेज भी छीन लिये। नि:संतान दंपत्ति ने कहा कि उनके पास अपने बेटे की फोटो के अलावा कोई और यादें नहीं हैं।
इसके बाद अंशुमन के माता-पिता ने भारतीय सेना में पेंशन नियमों में बदलाव की मांग की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात हुई। मौजूदा सेना कानून के मुताबिक, अविवाहित सैनिक के ‘रिश्तेदार’ शब्द का मतलब माता-पिता होता है, लेकिन शादी के बाद इसका मतलब पत्नी होता है। नतीजतन, कानूनी तौर पर एक सैनिक की मौत के बाद उसकी पत्नी हर चीज की हकदार होती है।
अगर सेना अविवाहित है तो उसके परिवार को पेंशन मिलेगी। इसके अलावा पीएफ, ग्रेच्युटी, बीमा की राशि संबंधित कर्मचारी की पूर्व घोषणा के अनुसार होगी। इस बार नियम बदलने जा रहा है।