प्रियंका और अखिलेश ने राज्य सरकार पर सवाल किये
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस उस समय बैकफुट पर आ गई जब डीजीपी (स्थापना) द्वारा कथित तौर पर जारी किया गया एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों से आउटसोर्सिंग के माध्यम से पुलिस विभाग में मंत्रालयी कर्मचारियों की भर्ती के लिए सुझाव मांगे गए थे। विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार पुलिस में भी अग्निवीर जैसी भर्ती नीति शुरू करने की योजना बना रही है।
बाद में राज्य पुलिस प्रमुख ने स्पष्ट किया कि पत्र गलती से जारी हो गया था और पुलिस विभाग में आउटसोर्सिंग के माध्यम से मंत्रालयी कर्मचारियों की भर्ती का कोई प्रस्ताव नहीं था। डीजीपी ने कहा, पत्र अनजाने में जारी हो गया था और इसे रद्द कर दिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि यूपी पुलिस पिछले तीन साल से आउटसोर्सिंग के जरिए रसोइया, धोबी, मोची, माली और सफाई कर्मचारियों समेत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती कर रही है। गुरुवार को यहां एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पत्र में दरअसल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती के लिए लिखा गया था, लेकिन गलती से इसमें मंत्री कर्मचारियों का जिक्र हो गया।
हालांकि, विपक्षी दलों का कहना है कि यूपी सरकार यूपी पुलिस में भी अग्निवीर जैसी योजना शुरू करने की योजना बना रही है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि सेना में अग्निवीर योजना की तरह राज्य में भी पुलिसकर्मियों की भर्ती चार-पांच साल के लिए की जाएगी।
अखिलेश ने कहा, राज्य सरकार को यह बताना चाहिए कि वह पुलिस भर्ती बोर्ड के जरिए पुलिसकर्मियों की सीधी भर्ती से क्यों भाग रही है। अगर आउटसोर्सिंग के जरिए पुलिसकर्मियों की भर्ती की गई तो उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी। उन्होंने कहा, संभव है कि राज्य में सरकार ही आउटसोर्स हो जाए। आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला करते हुए कहा कि पत्र से स्पष्ट रूप से साबित होता है कि राज्य सरकार राज्य पुलिस विभाग में अग्निवीर जैसी योजना शुरू करने पर विचार कर रही है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस पत्र की असली मशा को स्पष्ट करने की मांग कर दी थी।