दिल्ली के मुख्यमंत्री की विशेष अदालत में याचिका दायर
-
ईलाज के लिए मांग रहे मोहलत
-
एक जून को होगी इस पर सुनवाई
-
अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर है
नई दिल्ली: दिल्ली आबकारी नीति कथित घोटाले से संबंधित धनशोधन के एक मामले में आरोपी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत और मेडिकल आधार पर सात दिन की अंतरिम जमानत याचिकाओं पर यहां की एक विशेष अदालत ने केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ईडी को गुरुवार को जबाव तलब किया।
राउज एवेन्यू स्थित ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) मामलों से संबंधित कावेरी बावेजा की विशेष अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ईडी को अपना पक्ष रखने की अनुमति दी और कहा कि वह इस मामले में अगली सुनवाई एक जून को अपराह्न दो बजे करेगी। केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को गिरफ्तार करने वाली उनकी याचिकाओं पर अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए समय देने की गुहार लगाई थी।
लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान में शामिल होने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई एक जून तक अंतरिम जमानत पर 10 मई को रिहा हुए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इस मामले में विशेष अदालत में पहली बार जमानत याचिका दायर की है। अंतरिम जमानत देते हुए शीर्ष अदालत ने उन्हें दो जून को उन्हें जेल प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण करने का भी निर्देश दिया था।
विशेष अदालत के समक्ष श्री केजरीवाल ने नियमित जमानत याचिका के अलावा अपने स्वास्थ्य की जांच के लिए सात दिन की अंतरिम जमानत की भी अदालत से गुहार लगाई है। इससे पहले उच्चतम न्यायालय रजिस्ट्री ने श्री केजरीवाल की एक जून को समाप्त होने वाली अंतरिम जमानत अवधि सात दिन बढ़ाने के लिए दायर उनकी याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ ने मंगलवार को केजरीवाल की अंतरिम जमानत अवधि सात दिन बढ़ाने की याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। पीठ ने तब याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी से कहा था कि (केजरीवाल के) आवेदन को सूचीबद्ध करने के संबंध मुख्य न्यायाधीश कोई फैसला कर सकते हैं। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दिपांकर दत्ता की पीठ ने 10 मई को केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियानों में भाग लेने के लिए एक जून तक अंतरिम जमानत दी थी और दो जून को उन्हें जेल प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया था।