खुद मोदी ने किया है दो टिकटों का फैसला
-
प्रदीप वर्मा को राज्यसभा भेजा गया
-
घूरन राम पार्टी में शामिल किये गये
-
पार्टी के पुराने लोग ही लगा रहे पेंच
राष्ट्रीय खबर
रांचीः भारतीय जनता पार्टी में खास तौर पर रांची और पलामू लोकसभा सीट पर पेंच अंदर से फंसा हुआ है। काफी देर के बाद यह सूचना बाहर आयी है कि पार्टी के एक गुट ने इन दोनों सीटों पर प्रत्याशी बदलने का फैसला लगभग कर लिया था। अंतिम समय में जब इन सीटों की चर्चा हुई तो खुद प्रधानमंत्री ने दोनों प्रत्याशियों के नामों का एलान कर सभी को चुप करा दिया। दिल्ली में होने वाली बैठक में मौजूद दूसरे नेता इस पर कुछ नहीं बोल पाये।
इस मामले का संकेत मिलने के बाद मामले की खोजबीन से पता चला है कि दरअसल प्रदेश भाजपा रांची सीट से प्रदीप वर्मा को प्रत्याशी बनाना चाहता था। दिल्ली के दो बड़े नेताओं को इसके लिए राजी भी कर लिया गया था। कई लोगों ने यह दलील दी थी कि संजय सेठ यहां से चुनाव जीत जाने के बाद भी भाजपा के प्रदेश कार्यालय में नहीं आते हैं।
वैसे मजेदार स्थिति यह है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और संजय सेठ दोनों ही कभी वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी के नजदीकी नेता हुआ करते थे। बाद में दीपक प्रकाश जब प्रदेश अध्यक्ष बने तो किसी बात पर दोनों में दूरी बढ़ती चली गयी। प्रदेश अध्यक्ष बदल जाने के बाद भी संजय सेठ का भाजपा कार्यालय में आने का क्रम जारी नहीं रह सका।
दूसरी तरफ पलामू की सीट पर पहले इस बात की चर्चा थी कि घूरन राम को भाजपा में इसलिए शामिल कराया गया है ताकि उन्हें बीडी राम के बदले प्रत्याशी बनाया जा सके। वैसे प्रधानमंत्री ने जब खुद इन दोनों सीटों के प्रत्याशियों का नाम ले लिया तो बाकी सारी फाइलों पर लिखी बातें धरी की धरी रह गयी।
इन दो सीटों पर सब कुछ तय होने के बाद अब चतरा सीट पर माथापच्ची चल रही है क्योंकि पिछली बार रघुवर दास के गुट ने यहां से आदित्य साहू का नाम आगे बढ़ाने का काम किया था। उस हरकत से खुद अमित शाह नाराज हो गये थे और बाद के चुनाव परिणामों पर इसका सीधा असर भी देखने को मिला। इस बार पड़ोसी राज्य के राज्यपाल होने के बाद भी रघुवर दास यहां की राजनीति के बारे में अपने लोगों के माध्यम से जानकारी ले रहे हैं और उनकी कोशिश है कि उनका कोई करीबी फिर से लोकसभा में पहुंचे। वैसे आदित्य साहू को पहले ही राज्यसभा के लिए भेजा जा चुका है।
सूत्र बताते हैं कि प्रदीप वर्मा को राज्यसभा में भेजने का फैसला भी प्रदेश के नेताओं ने अंतिम समय में लिया क्योंकि पहले से उन्हें रांची लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाना तय था। दूसरी तरफ पलामू में पार्टी के पुराने नेता अब भी बीडी राम के नेतृत्व के खिलाफ अंदरखाने से प्रचार अभियान चला रहे हैं। लगातार दो बार सांसद रहने की वजह से कई नेताओँ को लगता है कि तीसरी बार जीतने पर उनका मंत्री बनना तय है। इसलिए पहले से ही चुनाव में भितरघात की तैयारी की जा रही है।