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जलपाईगुड़ीः यहां के एक पेड़ को सौ साल के कैद की सजा दी गयी है। सुनने में बड़ा अजीब लगता है लेकिन मामले की जानकारी मिलने के बाद लोग दूर से चलकर भी घटनास्थल पर इसे अपनी आंखों से देखने के लिए आ रहे हैं। वहां वाकई एक पेड़ को जंजीरों में बांधकर रखा गया है। वहां जाने पर पता चला कि उस पेड़ की वजह से किसान को अलग किस्म की परेशानी थी।
इस पेड़ की वजह से आस पास के छोटे पेड़ उग नहीं पा रहे थे। इस पेड़ को ईर्दगिर्द मौजूद सारे छोटे पेड़ मर जा रहे थे। इसलिए शेख जियाउल रहमान नामक व्यक्ति ने उसे एक सौ साल के जेल की सजा सुनायी है। यह इलाका नागराकाटा के एक गैर सरकारी पार्क के भीतर है। लोगों की जानकारी के बिना ही यह जंगली पेड़ वहां उग आया था। प्रारंभ में किसी का ध्यान इस पेड़ की तरफ नहीं गया था। बाद में जब आस पास के हरियाली खत्म होने लगी तो लोगों का ध्यान इसकी तरफ गया।
सब कुछ समझ लेने के बाद जियाउल रहमान ने इसके लिए पेड़ को सौ साल के कैद का एलान किया। उनका तर्क है कि जब दूसरे इंसान को मारने की सजा मौत या कारावास है तो इस पेड़ के लिए भी यही सजा होगी। उन्होंने जंजीर से इस पेड़ को अच्छी तरह बांध दिया है। इस फैसले के पेड़ को कारावास की सूचना सार्वजनिक हुई है।
वहां जाने पर शेख जियाउर रहमान ने कहा कि लोगों की मौजूदगी में इस सजा को अमल में लाया गया है। लेकिन इस दौरान वह और उनका परिवार अगले एक सौ वर्षों तक इस पेड़ की देखभाल करता रहेगा। इस सजा की जानकारी होने क बाद ब्रिटिश जमाने की एक घटना को भी याद किया गया है। पराधीन भारत में एक अंग्रेज के बंगले के करीब आते बरगद के पेड़ को भी इसी तरह जंजीरों से बांधा गया था।
उस पेड़ के साथ परेशानी यह थी कि वह निरंतर बढ़ता हुआ उस अंग्रेज के बंगले की तरफ चला आ रहा था। वैसे पेड़ को एक सौ साल की कैद की सजा के बारे में पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। जंजीरों से बांधकर पेड़ की जड़ों को आगे बढ़ने से नहीं रोका जा सकता है। एक समय ऐसा आयेगा जब यह पेड़ जंजीरों को खुद ही तोड़कर आजाद हो जाएगा।