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इंफाल घाटी के उग्रवादी समूह के साथ शांति वार्ता जारीः मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह

पूर्वोत्तर संवाददाता

गुवाहाटी : मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार इंफाल घाटी स्थित एक उग्रवादी समूह के साथ ‘शांति वार्ता’ कर रही है।सिंह ने कहा, उग्रवादी समूह के साथ बातचीत आगे बढ़ रही है और बहुत जल्द एक बड़े शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। राज्य में तीन मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद यह पहला मौका है जब सरकार द्वारा इस तरह की वार्ता की आधिकारिक पुष्टि की गई है।

मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, सिंह ने कहा कि बातचीत एक उन्नत चरण में थी, हालांकि वह भूमिगत संगठन का नाम लेने से दूर रहे। तीन मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद यह पहली बार है जब सरकार द्वारा इस तरह की वार्ता के बारे में आधिकारिक पुष्टि की गई है।

इससे पहले सूत्रों ने कहा था कि सरकार प्रतिबंधित यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के एक धड़े के साथ बातचीत कर रही है। हालांकि, इम्फाल घाटी में खुलेआम घूम ते और भीड़ को उकसाते हुए देखे गए उग्रवादी सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय हैं।

सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बुरी आशंका सच साबित होती दिख रही है क्योंकि इंफाल घाटी में उग्रवादियों को खुलेआम घूमते और भीड़ को उकसाते हुए देखा गया है, जो सोशल मीडिया पर दो लापता किशोरों की तस्वीरें सामने आने के बाद से गुस्से में हैं। अधिकारियों के अनुसार, उस दौरान एक दिन शाम को पुलिस दल पर हमला किया गया, काली वर्दी पहने हथियारबंद लोग उत्तेजित युवकों को पुलिस पर हमला करने के निर्देश देते देखे गए और फिर कई वाहनों को आग लगा दी गई। इंफाल में अखबारों के स्टैंड से हटने और स्थानीय टीवी चैनलों के बंद होने के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें शनिवार को ही इस बारे में पता चला। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर सीआईडी से पहले ही रिपोर्ट मांग चुके हैं। समाचार पत्रों और स्थानीय टीवी चैनलों ने एक उग्रवादी समूह के हस्तक्षेप के खिलाफ शुक्रवार से इंफाल घाटी में कामकाज बंद कर दिया है।

म्यांमार के लोगों को मणिपुर में शरण देने के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संधि का हिस्सा नहीं है, लेकिन कुछ लोगों को मानवीय आधार पर राज्य में शरण दी गई है। उन्होंने कहा, ‘म्यांमार में हालात सामान्य होने के बाद उन्हें वापस भेज दिया जाएगा।’ म्यांमार के करीब 2,500 लोग जुलाई तक सीमा पार कर मणिपुर आ गए, और राज्य के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं। पड़ोसी देश में ताजा हिंसा के बाद यह संख्या बढ़ रही है।

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