Breaking News in Hindi

भाजपा हर कीमत पर कांग्रेस को रोकना चाहती है

  • बेमौसम बारिश से जनजीवन हलकान

  • भाजपा की चाल कांग्रेस को रोकना है

  • पहली बार केसी राव को कड़ी चुनौती

राष्ट्रीय खबर

हैदराबादः सर्दी के मौसम में अचानक माहौल बदला है। लोगों को अब बरसाती या छाता लेकर निकलना पड़ रहा है। कई इलाकों में हल्की बारिश प्रारंभ होने के बाद इलाकों में जलजमाव भी दिख रहा है। चर्चा है कि अगले तीन दिनों तक ऐसा ही मौसम रहने वाला है। चौक चौराहों पर इस मौसम को लेकर चर्चा मजेदार है।

लोग कह रहे हैं कि यह दरअसल वोट मॉनसून है। जिसकी वजह से बारिश हो रही है और नेताओं को भींग भींगकर भी भाषण देना पड़ रहा है। आम तौर पर दिसंबर के करीब तेलंगना का मौसम ऐसा नहीं होता है। इसी वजह से स्थानीय लोग भी हैरान हैं। दरअसल बंगाल की खाड़ी में बना दबाव इस असामयिक मानसून को हैदराबाद ले आया है। यहां की गपशप वाली कॉफी और कबाब की दुकानें बता रही हैं कि यह वास्तव में वोट मानसून है। मौसम के आश्चर्य की तरह ही इस बार के विधानसभा चुनाव में भी तेलंगाना की जनता को आश्चर्य देखने को मिलेगा, पुराना हिसाब-किताब पलटा जा सकता है।

बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष और चन्द्रशेखर राव के बेटे केटी राम राव निर्धारित पदयात्रा की दूरी को कम करते हुए अगले कार्यक्रम की तरफ जा रहे हैं। इस दौरान उन्होंने पहले स्थानीय पत्रकारों से तेलुगु में जो कहा था, जिसका बाद में हिंदी में अनुवाद किया गया, उसे 2008 की आमिर खान की फिल्म गजनी का उल्लेख किया।

उनके शब्दों में, ऐसा लगता है जैसे वे सब कुछ भूल गए हैं। इतने सारे फ्लाईओवर, चौड़ी सड़कें, विभिन्न विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का निवेश, पिछले नौ वर्षों में बनी आकर्षक इमारतें, उन्हें कुछ भी याद नहीं है। चुनाव में 20 हजार करोड़ रुपये बहाना। कुछ समय पहले उनके पिता केसीआर ने तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस प्रमुख और कांग्रेस के मुख्यमंत्री चेहरा रेवंत रेड्डी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा था, कांग्रेस बीस सीटें भी नहीं जीत पाएगी। हैरान करने वाली बात यह है कि आखिर रेवंत को ही मुख्यमंत्री बताकर तेलंगाना भावना के शिखर पुरुष चन्द्रशेखर राव पर हमला क्यों करना पड़ रहा है।  उन्हें तो पिछली बार की तरह मुस्कुराते हुए जीतना चाहिए था।

प्रसार भारती के प्रधान महानिदेशक के रूप में कार्य करने के बाद प्रवीण एनवी रेड्डी अपने राज्य लौट आए और अपना ध्यान चुनाव अनुसंधान, एनजीओ, सर्वेक्षणों की ओर लगाया। वह कहते हैं, इस पोल में आश्चर्य की बात यह है कि नौ साल के शासन के बाद पहली बार केसीआर के खिलाफ जनता में आक्रोश है। इसलिए, विधानसभा चुनावों में शायद जीत नहीं होगी।

इसके साथ ही लोगों का संदेह पैदा हो गया है कि केसीआर को जिताने के लिए भाजपा यहां आत्मघाती गोल कर रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो कांग्रेस को हराना है। भाजपा के साथ इस परोक्ष समझौते को लोगों ने अच्छा नहीं माना।

2020 में जिस भाजपा के अथक प्रयासों से उप-चुनाव में अप्रत्याशित परिणाम मिले, उसके लिए बंदी संजय को रातों-रात प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाना यहां के राजनीतिक हलकों में पहला आत्मघाती लक्ष्य माना जा रहा है। बंदी तेजी से लोकप्रिय हो रहे थे, उनके संगठनात्मक कौशल भी यहां निर्विवाद थे।

अगर बंदी का नेतृत्व बरकरार रहता तो भाजपा तेलंगाना में कम से कम बीस सीटें आसानी से जीत लेती। लेकिन उनकी जगह किशन रेड्डी ने ले ली। जिसके पास अब करने को कुछ खास नहीं है। राजनीतिक हलकों की व्याख्या यह है कि यदि यह तीन-तरफा होता असदुद्दीन ओवैसी को अपने औसत पुराने हैदराबाद से 7 से अधिक सीटें नहीं मिलेंगी, तो यह स्वयं स्पष्ट है। यानी बीआरएस वनाम कांग्रेस वनाम भाजपा लड़ाई थी। नरेंद्र मोदी-अमित शाह किसी भी कीमत पर कांग्रेस को जीतने देना नहीं चाहते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आईं और कहा कि केसीआर अब तक किसानों के पंपसेट में कोई मीटर नहीं लगा पाए हैं। वह किसान विरोधी हैं। लोगों को यह समझने से नहीं चूकना चाहिए कि उन्होंने वास्तव में केसीआर को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा कहा था। केसीआर ने तुरंत कहा, आप देखिए, सरकार पंपों में मीटर लगाकर आपसे पैसे वसूलने के लिए मुझ पर दबाव डाल रही है।

मैंने कृषि विकास के लिए 25 हजार करोड़ रुपये का कर्ज मांगा, लेकिन मोदी सरकार ने नहीं दिया। बल्कि शर्त यह है कि अगर मैं आपके पंपों पर मीटर लगाऊंगा तभी यह लोन मिलेगा। लेकिन हम तेलंगाना के किसानों पर दबाव नहीं बढ़ने देंगे। निज़ाम के शहर के आसमान से असमय आए बादलों को दूर करने और सूरज का चेहरा देखने के लिए के चंद्रशेखर राव सभी हथियारों के साथ मैदान में आ गए हैं। इस युद्ध का परिणाम क्या निकला, उसका पता आगामी तीन दिसंबर को चल पायेगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.