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ममता की छांव में अब महुआ मोइत्रा

  • पार्टी की बैठक में मंच से कहा

  • अडाणी से अलगाव स्पष्ट हो गया

  • इंडिया गठबंधन को भी सीधा संदेश

राष्ट्रीय खबर

कोलकाताः पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहली बार खुलकर अपने सांसद महुआ मोइत्रा के पक्ष में बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि दरअसल असली साजिश संसद से महुआ को भगाने की है। इस बयान से देश के साथ साथ पूरे संगठन तक ममता बनर्जी ने अपना संदेश साफ साफ पहुंचा दिया।

जब महुआ को लेकर विवाद शुरू हुआ तो एक पार्टी के तौर पर तृणमूल उनके साथ नहीं खड़ी हुई। कुणाल घोष ने डेरेक ओ ब्रायन से सीधे कहा, यह महुआ की अपनी लड़ाई है। उन्हें यह लड़ाई लड़नी होगी। तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा को लेकर विवाद अक्टूबर के मध्य में शुरू हुआ था। तब से तृणमूल लगभग चुप थी।

आख़िरकार पार्टी नेता ममता बनर्जी कृष्णानगर से सांसद का नाम लेकर उनके साथ खड़ी हुईं। गुरुवार को नेताजी इनडोर स्टेडियम में पार्टी की संगठनात्मक बैठक के मंच से ममता ने कहा, उनकी (बीजेपी की) योजना अब महुआ को भगाने की है। संसद का कार्यकाल खत्म होने में तीन महीने बचे हैं। महुआ जो भीतर कहती थी, वही इस बार बाहर कहेगी। चुनाव से तीन महीने पहले कोई ऐसा करता है जब तक कि वह मूर्ख न हो।

महुआ पर आरोप है कि उन्होंने कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत को लेकर संसद में अडाणी औद्योगिक समूह के खिलाफ सवाल उठाए थे। उस सवाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अडाणी के साथ लपेटे में आये। लोकसभा की आचार समिति ने रिश्वत के बदले सवाल के आरोप के आधार पर महुआ की जांच की। इसके बाद समिति ने स्पीकर को सिफारिश भेजी कि महुआ का सांसद पद बर्खास्त कर दिया जाए। इसे संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा में उठाया जा सकता है। यह प्रस्ताव लोकसभा में बहुमत से पारित होगा। यानी इस बात की प्रबल संभावना है कि महुआ का सांसद पद खारिज हो जायेगा।

डेढ़ सप्ताह पहले तृणमूल में संगठनात्मक फेरबदल हुआ था। वहीं देखा जा सकता है कि कृष्णानगर से सांसद महुआ को कृष्णानगर संगठनात्मक जिले के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। उससे ठीक पहले एक सवाल के जवाब में तृणमूल के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी महुआ के पक्ष में खड़े हुए थे और कहा था कि महुआ ही उस लड़ाई को लड़ने के लिए काफी है। इसके तुरंत बाद महुआ को संगठनात्मक पद दिया गया। ताकि महुआ खुद संतुष्ट हो जाए। क्योंकि, उस नियुक्ति में उनका पार्टी के प्रति सकारात्मक संदेश था। तृणमूल के अंदरूनी सूत्रों का मानना ​​है कि गुरुवार को पार्टी नेतृत्व के सामने ममता महुआ के साथ खड़ी रहीं।

महुआ ने नरेंद्र मोदी की अडाणी से दोस्ती पर उठाए सवाल। गौरतलब है कि मंगलवार को विश्व बंगाल व्यापार सम्मेलन से ममता ने महत्वपूर्ण अंदाज में घोषणा की कि ताजपुर समुद्री बंदरगाह के लिए कोई भी कंपनी टेंडर डाल सकती है। पिछले साल सितंबर में, राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि ताजपुर में एक समुद्री बंदरगाह के निर्माण के लिए दो निविदाएं प्रस्तुत की गई हैं। गौतम अडाणी की संस्था ने इसका हवाला दिया है। मंगलवार को जिस तरह से ममता ने नए सिरे से बोली लगाने की बात कही, उससे ममता का अडाणी से अलगाव स्पष्ट हो गया। कई लोगों ने परोक्ष रूप से इसे महुआ की जीत बताया। इस बार पार्टी बैठक में ममता ने सीधे तौर पर महुआ के साथ खड़े होने का संदेश दिया।

तृणमूल नेताओं का एक वर्ग घरेलू चर्चा में यह भी कह रहा है कि नदिया जिले में पार्टी का गुटीय झगड़ा बहुत पुराना है। इंदौर में महुआ के साथ खड़े हुए नेताजी के बारे में बात करते हुए ममता ने नदिया के नेताओं को यह भी समझाना चाहा कि सांसद और जिला अध्यक्ष को लेकर पार्टी की क्या स्थिति है। जो महुआ के पक्ष में जायेगा।

कई लोगों के अनुसार, कांग्रेस नेता राहुल गांधी उन लोगों की सूची में हैं जिन्होंने संसद में पीएम मोदी के साथ अडाणी की दोस्ती, व्यवसाय को ठिकाने आदि के बारे में तीखे सवाल उठाए हैं, और महुआ भी हैं। उस संदर्भ में, अखिल भारतीय स्तर पर भाजपा विरोधी क्षेत्र में इस बात को लेकर भ्रम था कि तृणमूल सीधे तौर पर महुआ के साथ खड़ी नहीं है।

बंगाल में मोहम्मद सलीम, अधीर चौधरी महुआ के पक्ष में खड़े हुए और पूछा कि तृणमूल अपने सांसदों के साथ क्यों नहीं खड़ी है। गुरुवार को ममता ने उस धुंध को साफ कर दिया। तृणमूल के एक धड़े के मुताबिक, महुआ ने विश्व बंगाल व्यापार सम्मेलन में अडाणी से नाता तोड़ने का संदेश देकर राजनीतिक दायरे में एक कदम आगे बढ़ाया है। गुरुवार को पार्टी नेता के सीधे समर्थन से वह कुछ कदम आगे बढ़ गये।

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