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कोयला आयात की कीमतों की जांच
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सिंगापुर के लेनदेन पर एजेंसी की जांच
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धारावी प्रोजेक्ट की शर्तों में बदलाव पर हमला
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः अडाणी समूह पर पहले भी बिजली उत्पादन के लिए ऊंची कीमत पर कोयला आयात करने का आरोप लगा था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इसे एक चुनावी मुद्दा बना रखा है, जिससे भाजपा असहज है। अडाणी समूह पर विदेश में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सामने आया था। हालांकि मामले की वजह से इस शिकायत की जांच प्रक्रिया काफी समय से अटकी हुई है।
इस बार एक रिपोर्ट में दावा किया है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की जांच शाखा राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने जांच शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी है। इसके लिए वे सिंगापुर में संबंधित अधिकारियों से जरूरी दस्तावेज जुटाना चाहते हैं। अर्जी पर फरवरी में सुनवाई होने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके परिणामस्वरूप हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर एक के बाद एक आरोपों से जूझ रहे अडाणी समूह पर दबाव बढ़ गया है।
हिंडनबर्ग और खोजी समाचार एजेंसी ओसीसीआरपी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडाणी समूह की कंपनियां एक दशक से अधिक समय से शेयर की कीमतों में हेराफेरी कर रही हैं। इसके लिए उन्होंने कोयले और बिजली क्षेत्र के उपकरणों को ऊंची कीमतों पर आयात करके विदेशों में धन की तस्करी की।
उस पूंजी का उपयोग करके उन्होंने विदेशी निवेश कंपनियों को देकर अपनी ही कंपनी के शेयर खरीदे। सूचना के मुताबिक, 2016 से डीआरआई ने विभिन्न कंपनियों के खिलाफ जांच के तहत अपनी सिंगापुर की सहायक कंपनी (अडाणी ग्लोबल) के साथ अडाणी के लेनदेन से संबंधित दस्तावेजों को इकट्ठा करने की कोशिश शुरू कर दी।
उस कंपनी के माध्यम से मलेशिया से कोयला आयात किया जाता था। हालांकि, कानूनी लड़ाई के कारण जांच प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है। इस स्तर पर, डीआरआई ने सुप्रीम कोर्ट में 25 पन्नों की याचिका दायर की और दावा किया कि वे दोनों देशों के बीच कानूनी सहयोग समझौते के अनुसार सिंगापुर से दस्तावेज़ प्राप्त कर सकते हैं। इस संबंध में उन्हें वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय की सहमति मिल गयी है।
अडाणी मामले पर विपक्ष मोदी सरकार पर हमला करने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहा है। ऐसे में अडाणी के खिलाफ दोबारा जांच शुरू करने पर सहमति जताकर केंद्र क्या संदेश देना चाहता है, यह अब संबंधित हलकों की कवायद के केंद्र में है। कई लोगों के मुताबिक ये फैसला विपक्ष के दबाव के कारण है। अडाणी के मुताबिक, उन्होंने जांच में सहयोग किया है। उन्होंने चार साल से अधिक समय पहले जांच एजेंसी को विभिन्न लेन-देन संबंधी दस्तावेज भी उपलब्ध कराए थे।
सूत्रों के मुताबिक, जांच की शुरुआत में डीआरआई ने अडाणी के कोयला आयात से जुड़े करीब 1300 लेनदेन पर गौर किया। बताया गया कि मलेशिया से निर्यात होने वाले कोयले को बिचौलियों के माध्यम से वास्तविक लागत से कहीं अधिक कीमत पर खरीदा गया। इसके आधार पर डीआरआई सिंगापुर के विभिन्न बैंकों के माध्यम से अडाणी के लेनदेन से संबंधित दस्तावेज चाहता है।
2019 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने अडाणी की याचिका के आधार पर कहा कि दस्तावेज़ मांगने में प्रक्रियात्मक त्रुटियाँ थीं। इसे चुनौती देने के लिए डीआरआई सुप्रीम कोर्ट गया। इसके बाद से जांच रुकी हुई है। उसको लेकर भी विपक्ष ने केंद्र पर हमला बोला है।
दूसरी ओर, कांग्रेस ने शुक्रवार को मुंबई की धारावी झुग्गी बस्ती के नवीनीकरण को लेकर अडाणी पर हमला बोला। उनके अनुसार, महाराष्ट्र के शहरी विकास विभाग को उन कंपनियों को बाहर करने के लिए निविदा की शर्तों को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिन्हें उद्धृत किया जाना था। इतना ही नहीं, समझौते के मुताबिक, अगर कोई अन्य कंपनी इस प्रोजेक्ट में भागीदार बनना चाहती है तो उसे इसके अधिकार अडाणी से खरीदने होंगे।