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साध्वी को अब नहीं साधेगी भाजपा

  • उपेक्षा से नाराज फायर ब्रांड नेत्री  हिमालय की ओर

डॉ. नवीन आनंद जोशी

भोपालः बीस बरस पहले जिस साध्वी उमा भारती ने अपनी फायर ब्रांड छवि से मध्य प्रदेश में काबिज कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार को उखाड़  फेंका था, आज भारतीय जनता पार्टी साध्वी से परहेज कर रही है। यही कारण है कि उन्हें पहले सरकार से फिर संगठन से और अब चुनाव प्रचार से दूर किया गया हैं ।

स्टार प्रचारकों की सूची में  उमा का नाम गायब है ।अपने मन में अधूरी इच्छाएं लेकर उमा भारती हिमालय की और कूच कर रही है। जाने से पहले उन्होंने दोहराया है कि कि मैं अपने मन की और जनता की इच्छा पार्टी के बड़े नेताओं और अपने भाई शिवराज सिंह चौहान को सौंप कर जा रही हूं। 90 के दशक से जिस साध्वी के इर्द-गिर्द देश की सत्ता चलती थी, वह उमा भारती जो कभी आडवाणी कैंप की सबसे बड़ी जन नेता के रूप में जानी जाती थी और बाबरी ढांचे को ध्वस्त करने में जिनकी अहम भूमिका थी, जनता के बीच पहुंचना और अपनी अद्भुत संवाद शैली से माहौल बदल देना उनकी विशेषता में शामिल था, उससे अब भारतीय जनता पार्टी का कैंप दूरी बनता जा रहा है।

वर्ष 2003 में जब कांग्रेस के दिग्गजों ने सत्ता अपने चंगुल में दबा रखी थी, उस वक्त  एक अकेली साध्वी ने अपने दम पर मध्य प्रदेश में भगवा परचम लहराया और सत्ता पंजे के हाथों से छीनी थी । मात्र 8 महीने में  कोर्ट के प्रकरण के चलते हुए तिरंगा यात्रा लेकर दक्षिण भारत चली गई और उसके बाद जब लौटी तो पार्टी ने उन्हें कभी पटरी पर नहीं आने दिया।

पार्टी के कुछ केंद्रीय नेताओं से नाराज होकर उन्होंने जनशक्ति पार्टी का गठन भी किया और बागी तेवर भी अपनाएं। भाजपा ने हिंदुत्व के मुद्दे पर काम करने वाली फायर ब्रांड साध्वी को तब साधने की कोशिश की, लेकिन वह स्थान नहीं दिया जिसकी वो हकदार थी।तब से लेकर आज तक कई मौकों पर वह बोलती रही है कि मेरी अपेक्षा हो रही है.. उपेक्षा का स्तर इस हद तक आ गया कि उन्होंने जब शराब बंदी को लेकर मध्य प्रदेश में आंदोलन छेड़ा तो पार्टी ने उन्हें सार्वजनिक मंचों पर बुलाना बंद कर दिया।

संगठन हो या सरकार कहीं भी उमा भारती को महत्व नहीं मिला ।उन्होंने शराब की दुकानों पर खुद जाकर शराब बंदी करने के जतन किए , आंदोलन किया विद्रोह किया, अपनी सरकार को भी घेरा लेकिन वे अपनी बात को मनवा पाने में सफल नहीं हो पाई।अपने भतीजे राहुल लोधी को विधायक बनवाने में सफल जरूर हो गई। लेकिन उन्हें मंज़िल नसीब नहीं हुई। अब जबकि देश में योगी आदित्यनाथ के केसरिया रंग की लहर चल रही है और हिंदुत्व के एजेंडे पर भाजपा में काम हो रहा है ऐसी स्थिति में भी उमा भारती के साथ पार्टी की दूरी विश्लेषकों को चिंतित कर रही है। हाल ही में उन्होंने एक सार्वजनिक बयान दिया, जिसमें कहा कि मैं अब हिमालय जा रही हूं और वहां जाकर चिंतन करूंगी।

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