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भाजपा नेत्री उमा भारती के बयान से भाजपा में बेचैनी

मध्यप्रदेश में लोधी समाज के कार्यक्रम में दिया था भाषण

राष्ट्रीय खबर

भोपालः मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के एक बयान से भाजपा में खलबली है। वैसे तो खुद वह इस बयान पर सफाई दे चुकी हैं। इसके बाद भी कांग्रेस ने उनके इसी बयान को आधार बनाकर हवा गरम कर दी है।

पूर्व सीएम ने कहा कि मैंने कहा, पिछले 2018 के मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में कुछ विधानसभा क्षेत्रों से मेरी सभा से पहले लोधी समाज से कुछ फोन मेरे ऑफिस में आए थे कि दीदी की सभी रद्द कर दीजिए। हम यहां के भाजपा के उम्मीदवार से नाराज हैं। उसी के जवाब में मैंने उस दिन ऐसा बोला है।

उमा भारती ने कहा कि यह बात मैंने सार्वजनिक तौर पर पहली बार नहीं बोली। उन्होंने कहा कि आप याद करिये जब हम विधानसभा चुनाव हार गए और कांग्रेस का एक समूह हमारे साथ टूट कर आया एवं उसके सहारे हमने सारकर का गठन किया तथा मंत्रिमंडल बना। तब भी मैंने सार्वजनिक तौर पर बयान दिया था कि इस मंत्रिमंडल में जाति एवं क्षेत्र का संतुलन बिगड़ा हुआ है।

पूर्व सीएम ने कहा कि हिंदुत्व मेरी निष्ठा, भारत मेरा प्राण और संसार के सभी अभावग्रस्त लोग मेरे दिल में बसे हैं। मोदी मेरे नेता, भाजपा मेरी पार्टी है। मैंने कभी भाजपा नही छोड़ी । मुझे निकाला गया था । तब मैंने अपने कर्त्तव्य पथ पर चलते रहने के लिये राष्ट्रवादी विचार की धाराप्रवाह में ही अपना दल बनाया फिर उस समय के भाजपा के अध्यक्ष नितिन जी के निमंत्रण पर जिसका मोदी जी ने भी समर्थन किया भारतीय जनशक्ति का भाजपा में विलय करते हुए मैं भाजपा में वापस आ गई।

अब राजनीतिक गर्मी को भांपते हुए उमा भारती ने कहा कि कांग्रेस को हमारे बीच में आने की जरूरत नहीं है, मुझे भाजपा साइडलाइन नही करती, मेरी अपनी एक सीधी लाइन है और मैं उसी पर चलती हूं। स्वयं का मोक्ष एवं जगत का कल्याण। उमा ने कहा कि सूर्य की रोशनी, चंद्रमा की चांदनी, हवा का झौंका, फूलों की सुगन्ध, नदी की तरंग और शक्कर की मिठास यह कभी साइडलाइन नहीं होते क्योकि यह अंदर बाहर सब तरफ रचे बसे होते हैं।

बयान और बाद में बयान पर सफाई देने के बाद भी भाजपा को वोट नहीं देने की उनकी बात सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद भाजपा सवालों के घेरे में है। वैसे भी यह स्पष्ट है कि कांग्रेस छोड़कर भाजप में आये विधायकों को पार्टी के मूल कैडर ने दिल से स्वीकार नहीं किया है। इस वजह से चुनाव करीब आते ही हर ऐसे बयान में बाल की खाल निकालने का काम चल रहा है। दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान स्वाभाविक तौर पर गुटबाजी के शिकार होते दिख रहे हैं।

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