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राज्य में स्थानांतरण लंबित रहने से परेशानी

  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ध्यान देना होगा

  • सरदार पटेल भवन में सबकुछ ठीक ठाक नहीं

  • आठ महीने में दो एडीजी बैठकों से बाहर रखे गये

दीपक नौरंगी

पटना: पुलिस मुख्यालय में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। अधिकारियों के महत्त्व को नहीं समझने की वजह से कई अधिकारी नाराज हैं। ऐसे दो एडीजी स्तर के अधिकारियों ने अब बिहार को अलविदा कहने का मन बना लिया है। यदि ऐसा होता है तो अपराध नियंत्रण में बिहार पुलिस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सूत्रो पर यदि भरोसा करें तो यह मानना है कि डीजीपी के कार्यशैली से यहां के पुलिस पदाधिकारी खासे नाराज हैं।? नाराज अधिकारियों को मनाने की भी कोशिश की जा रही है।

पुलिस मुख्यालय के सूत्रों ने बताया कि ऐसी स्थिति डीजीपी के कार्यशैली को लेकर उत्पन्न हुई है। पर्दे की पीछे की सच्चाई है कि पुलिस अधिकारियों का दबी जुबान से मानना है कि उनका मान सम्मान वर्तमान डीजीपी के कार्यकाल में घटा है। अधिकारियों का कहना है कि वह अपने अधीनस्थों को जो भी आदेश देते हैं उसका पालन नहीं किया जाता है। लापरवाही की वजह से लंबित केसों की संख्या बढ़ती जा रही है।

हाल के दिनों में एक अधिकारियों का भरोसा दूसरे अधिकारियों से उठ गया है। अधिकारियों के बीच ऐसी राजनीति चल रही है  कि वह एक दूसरे को फसाने में लगे रहते हैं। ऐसी स्थिति में निष्पक्ष एवं परफेक्ट होकर कार्य नहीं किया जा सकता है। मुख्यालय में  सीनियर अधिकारियों की भी बातें नहीं सुनी जाती है। स्थानांतरण और पदोन्नति का मामला लंबे समय से लटका हुआ है।

बताया जाता है कि पुलिसकर्मियों के तबादले को लेकर 18 अगस्त को हुई बैठक मैं कुछ महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए गए हैं । पूरे बिहार में बड़े पैमाने पर पुलिसकर्मियों से इंस्पेक्टर तक के पुलिस पदाधिकारी का तबादला हो सकता है इससे अधिकारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सरकारी प्रावधान के मुताबिक सभी को समय पर पदोन्नति मिलनी चाहिए।

इससे काम करने वाले पुलिस कर्मियों का मनोबल बढ़ता है। पुलिस मुख्यालय ने एक आदेश जारी किया था कि आस- पड़ोस के जिले में ही पुलिस कर्मियों की प्रति नियुक्ति की जाएगी। पूर्व डीजीपी एसके सिंगल ने उस सभी आदेश को रद्द कर दिया इससे पुलिसकर्मी अपने परिवार जनों की देखभाल और बूढ़े माता-पिता की सेवा कर सकेंगे। लेकिन अभी तक 60 किलोमीटर के दायरे में तबादला वाला मामला अटका हुआ है पुलिस मुख्यालय में स्थानांतरण को लेकर कई बैठकें आयोजित की गई लेकिन इसका कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया।

देश के दूसरे राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को लागू कर दिया गया है लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य है जहां पुरानी पेंशन योजना अब तक लागू नहीं हो पाई है। पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं होने से राज्य कर्मियों में काफी नाराजगी देखी जा रही हैं। लेकिन सिर्फ चर्चा करने से पुलिस अधिकारियों का काम चलने वाला नहीं है। पुलिस कल्याण संबंधित कार्यों में भी स्पष्ट दिशा निर्देश द्वारा नहीं होने के कारण पुलिस अधिकारियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

पहले भी कई  सीनियर पुलिस अधिकारी बिहार छोड़कर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा चुके है। वर्तमान में दो कर्मठ और ईमानदार पदाधिकारी बिहार छोड़कर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले जाएंगे तो उसका असर सीधे कानून व्यवस्था पर पड़ेगा। ऐसी स्थिति में राज्य के पुलिस के मुखिया को विचार करने की जरूरत है। हाल के दिनों में कानून व्यवस्था की स्थिति में भी गिरावट आई है। इसका सीधा असर बिहार की कानून व्यवस्था पड़ेगा। सरकार के उच्च पदस्थ पदों पर बैठे नेताओं ने यदि हस्तक्षेप नहीं किया तो पुलिस मुख्यालय में अफसर के बीच गुटबाजी बढ़ेगी। जिसका सीधा असर कानून व्यवस्था पर दिखेगा।

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