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नईदिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को हिंसाग्रस्त मणिपुर में दो महिलाओं से बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की घटना की सीबीआई जांच के आदेश दिए। इस घटना को लेकर देश आक्रोशित हो गया। सूत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार इस मामले में सुनवाई की प्रक्रिया को मणिपुर से बाहर ले जाना चाहती है।
4 मई को राजधानी इंफाल से 35 किमी दूर कांगपोकपी जिले में दो महिलाओं को कथित तौर पर नग्न अवस्था में घुमाया गया था। यह भी दावा किया गया है कि उन्हें एक खेत में ले जाया गया और सामूहिक बलात्कार किया गया। बताया जाता है कि इस घटना की काफी पहले ही थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी। लेकिन पुलिस इतने समय तक निष्क्रिय थी।
कुछ दिन पहले घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। 26 सेकेंड का वीडियो जारी होते ही देशभर में हंगामा शुरू हो गया। मणिपुर की घटना की विभिन्न हलकों ने निंदा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना की निंदा की। इसके बाद एक-एक कर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
3 मई को छात्र संगठन ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर’ (एटीएसयूएम) के कार्यक्रम को लेकर मणिपुर में अशांति फैल गई। उस दिन और रात से, बहुसंख्यक मेइतीद अलग-अलग क्षेत्रों में जंजाती समूह से संबंधित कुकियों के साथ संघर्ष करते रहे। आरोप है कि दोनों समुदायों की कई महिलाएं प्रताड़ना का शिकार हुईं।
मणिपुर की इस घटना को लेकर राष्ट्रीय राजनीति गरमा रही है। 78 दिनों की चुप्पी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर के बारे में बात की। उन्होंने कहा, यह घटना किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्म की बात है। हालांकि, विपक्ष मणिपुर घटना पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहा है। संसद के प्रतिस्थापन सत्र में पिछले कुछ दिनों से गतिरोध बना हुआ है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है। ऐसे में अमित शाह के मंत्रालय ने मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र किये जाने के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है।