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नईदिल्लीः एशियाई खेलों के लिए दो चरण के ट्रायल को लेकर पहलवानों का एक बड़ा वर्ग नाराज है। इनमें अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता भी हैं। उन्होंने जरूरत पड़ने पर अदालत जाने की धमकी दी है। कई महिला पहलवानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एशियाई खेलों के ट्रायल पूरी पारदर्शिता के साथ कराने की मांग की है।
उन्होंने इसी मांग के साथ अखिल भारतीय ओलंपिक संगठन (आईओए) और भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) को पत्र लिखा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर को भी पत्र भेजा गया है। देश में पहलवानों का एक वर्ग एशियाई खेलों और विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के ट्रायल को लेकर आशंकित है।
उन्हें डर है कि पहलवान बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले देश के शीर्ष छह पहलवानों को अतिरिक्त लाभ दिया जा सकता है। इसलिए, प्रधान मंत्री के अलावा, कई महिला पहलवानों ने ट्रायल की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आईओए और साई को पत्र लिखा है। इनमें कई ऐसे पहलवान भी हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं। इसी मांग को लेकर रोहतक के सर चतुरम अखाड़े की 24 महिला पहलवानों ने साई महानिदेशक संदीप प्रधान को अलग से पत्र लिखा है।
उन्होंने साफ कर दिया है कि अगर उन्हें अतिरिक्त लाभ दिया गया तो विरोध करने वाले पहलवान नहीं मानेंगे। उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाया है कि ट्रायल दो चरणों में क्यों किया जाएगा। गौरतलब है कि आईओए द्वारा नियुक्त तदर्थ समिति ने कहा था कि एशियाई खेलों के लिए कुश्ती का ट्रायल 22 और 23 जुलाई को होगा।
अभी यह घोषणा नहीं की गई है कि ट्रायल कैसे किया जाएगा। इससे पहले 16 जून को कुश्ती संगठन की ओर से भूपेन्द्र सिंह बाजवा ने कहा था कि बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, बिनेश फोगाट को अतिरिक्त समय देने की मांग को देखते हुए ट्रायल दो चरणों में होगा। पहले चरण में सभी पहलवान ट्रायल देंगे। दूसरे चरण में छह पहलवान प्रतिस्पर्धा करेंगे। वह पहले एपिसोड के विजेता से लड़ेंगे। विजेता एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। देश के पहलवानों का एक बड़ा हिस्सा ट्रायल के इस तरीके को स्वीकार नहीं कर सकता।
उन्होंने सवाल उठाया है कि छह लोगों को अतिरिक्त लाभ क्यों दिया जाएगा। सवाल उठाया गया है कि बजरंग, गवाहों को सिर्फ एक मैच खेलने के बाद किस आधार पर मंजूरी मिल जाएगी। उनका दावा है कि मुकदमे के बारे में सभी को बहुत पहले से पता था। फिर बजरंग, गवाह समय पर तैयार क्यों नहीं हुए? उनका यह भी दावा है कि मुकदमे का आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है। अशांति को देखकर तदर्थ समिति के सदस्यों ने एक नई योजना बनाई।
सूत्रों के मुताबिक, ओलंपिक या विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले पहलवानों को पहले दौर के ट्रायल से बाहर रखा जा सकता है। तब बजरंग, साक्षी, विनेशेरा के अलावा कुछ पहलवानों को वह लाभ मिलेगा। आंदोलनकारियों को अतिरिक्त लाभ देने का कोई आरोप नहीं लगेगा। केंद्रीय गृह एवं खेल मंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है, अगर तीन ओलंपियन पहलवानों को अतिरिक्त ट्रायल से छूट दी गई तो यह युवा एथलीटों के साथ अन्याय होगा।
हमारी राय में दो चरणों में ट्रायल का प्रस्ताव उचित नहीं है। यह उभरते पहलवानों के साथ अन्याय होगा।’ हर किसी को चार से पांच मैच खेलने चाहिए। और क्यों छह लोगों को एक मैच खेलकर क्लीयरेंस पाने का मौका मिलेगा? पात्रता मानदंड समान क्यों न हों? एशियाई खेलों की कांस्य पदक विजेता मनीषा ने कहा, नियम सभी के लिए समान होने चाहिए।
यदि वे हमें प्रतियोगिता में हरा देते हैं, तो आइए एशियाई खेलों में जाएं। हमें भी राहत होगी। दो अलग-अलग ट्रायल देने में कई दिक्कतें आती हैं। वजन बनाए रखने में कठिनाई। तैयारी ठीक से नहीं की जाती। एशियाई जूनियर कुश्ती में पदक विजेता सारिका ने कहा कि अगर मांग पूरी नहीं हुई तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगी। गौरतलब है कि आईओए को पहलवानों के नामों की अंतिम सूची 23 जुलाई तक एशियाई खेलों के आयोजकों को भेजनी है।