Breaking News in Hindi

साढ़े तीन हजार संदिग्ध सिम ब्लॉक किये

  • किसी न किसी मामले में नंबर आया था

  • साढ़े चार हजार और नंबर भी बंद होंगे

  • सिम बेचने वालों को भी हिदायत दी गयी

राष्ट्रीय खबर

पटनाः अब भुवनेश्वर के बाद बिहार में भी फर्जी पहचान पर सीम कार्ड लेने पर कड़ाई की गयी है। यहां सक्रिय साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसते हुए आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने साढ़े तीन हजार संदिग्ध सिम कार्ड ब्लॉक करा दिए हैं। ये सिम कार्ड ठगी, ऑनलाइन ठगी समेत अन्य अपराध में इस्तेमाल किए गए थे।

केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय से विशेष अनुरोध कर सिम कार्ड सेवा प्रदाता कंपनियों के जरिए स्थायी तौर पर उन्हें बंद करवाया गया है। इससे पहले उड़ीसा से भी ऐसा मामला सामने आया था। वहां पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के साथ मोबाइल सिम का ओटीपी शेयर करने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया था।

उसके बाद से ही पूरे देश में इस किस्म की सतर्कता बरती जा रही थी। उड़ीसा के मामले में संदेह है कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसियों के लोग भारतीय मोबाइल नंबरों से अपना काम चला रहे हैं। वैसे दूसरों के नाम पर खरीदी गयी सिम के इस मामले की जांच अभी चल रही है।

ओडिशा पुलिस के एसटीएफ ने नयागढ़ और जाजपुर जिलों से तीन लोगों को पहले से सक्रिय सिम कार्ड खरीदने और कथित तौर पर पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के साथ वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया। एसटीएफ सूत्रों ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान 35 वर्षीय पठानी सामंत लेंका के रूप में हुई है, जो एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में शिक्षक के रूप में काम करता है। दो अन्य लोग हैं 26 वर्षीय सरोज कुमार नायक और 19 वर्षीय सौम्या पटनायक। गलत मकसद से भारत के मोबाइल नंबरों का उपयोग किया जाता है, इसलिए लोग सोचेंगे कि ये खाते एक भारतीय के स्वामित्व में हैं, लेकिन वास्तव में पाकिस्तान से संचालित होते हैं।

इधर बिहार में ईओयू की जांच के दौरान पिछले तीन-चार महीने के दौरान लगभग 8 हजार संदिग्ध सिम कार्ड चिह्नित किए गए। इनमें साढ़े 3 हजार को ब्लॉक करा दिया गया,जबकि अन्य साढ़े 4 हजार को भी ब्लॉक करवाने के लिए केंद्र और संबंधित मोबाइल कंपनियों को लिखा गया है। ये सभी सिम कार्ड किसी न किसी साइबर अपराध में इस्तेमाल किए गए।

इनमें कई मोबाइल नंबरों का उपयोग दूसरे राज्यों में ठगी के गैंग का संचालन करने के लिए किया जाता था। जांच में पता चला कि सिम कार्ड फर्जी नाम और पते पर लिए गए थे। कुछ लोगों की बिना जानकारी के आधार का उपयोग करके सिम कार्ड खरीद लिए गए। दूसरे राज्यों के भी कुछएक पहचान-पत्र का उपयोग करके सिम खरीद कर साइबर अपराध में इनका इस्तेमाल किया जा रहा था।

ईओयू ने सभी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों और सिम बेचने वाले विक्रेताओं को भी सख्त हिदायत दी गई है कि वे किसी को सिम देने से पहले उनकी आईडी की पूरी पड़ताल कर लें। ईओयू के एडीजी नैय्यर हसनैन खान ने कहा कि साढ़े 3 हजार सिम ब्लॉक करवा दिए गए हैं। बाकी को बंद करवाने की प्रक्रिया भी चल रही है। इससे साइबर क्राइम के नेटवर्क को रोकने में मदद मिलेगी।

उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।