-
दलित प्रदेश अध्यक्ष भी बढ़ सकते हैं
-
झारखंड में फिर से आदिवासी अध्यक्ष
-
150 सीटों का गणित बदल देगा यह खेल
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने राहुल गांधी को शादी करने की सलाह दी थी। जिस मौके पर यह बात कही गयी थी वह मौजूद लोगों के लिए हास्य का पल था। लेकिन राजनीति के जानकार पहले से ही यह जानते हैं कि लालू प्रसाद यूं ही कोई बात नहीं कहते हैं। उनकी बातों में कई बार गंभीर राजनीतिक संदेश छिपा होता है।
देखिये लालू प्रसाद का वह पुराना वीडियो
इसलिए अब उनकी बातों को छानबीन से यह तथ्य सामने आने लगा है कि कांग्रेस दूसरी चुनावी रणनीति पर काम शुरु कर चुकी है। माना जा रहा है कि कई प्रदेशों में अगर वाकई दलित प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होते हैं या झारखंड जैसे राज्य में आदिवासी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है तो लालू प्रसाद की सलाह पर अमल होने की पुष्टि हो जाएगी।
दरअसल चुनावी आंकड़े इस तरफ इशारा कर रहे हैं कि कर्नाटक के चुनाव के बाद कांग्रेस दलित मतदाताओं को अपने पाले में करने की योजना पर काम प्रारंभ कर चुकी है। इस रणनीति के जरिए वह भाजपा की अस्सी प्रतिशत सीटें पर सेंधमारी करना चाहती है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब 17 प्रतिशत दलित समुदाय के लोग हैं।
लोकसभा में 131 सीट अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के लिए आरक्षित हैं, मगर, दलित मतदाता करीब 160 सीटों पर असर डालते हैं। वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को एससी/एसटी के लोगों का समर्थन मिला है। वर्ष 2014 में भाजपा को 17.7 प्रतिशत एससी और 34.23 प्रतिशत एसटी वोट मिला था। जबकि, वर्ष 2019 में भाजपा को 38.18 प्रतिशत एससी और 42.16 प्रतिशत एसटी का वोट मिला।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि लोकसभा में दलित मतदाताओं की भूमिका बेहद अहम है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे भी दलित समुदाय से आते हैं। कर्नाटक में पार्टी को इसका लाभ मिला है। वहां कांग्रेस के दलित वोट में करीब 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कांग्रेस रणनीतिकार मानते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में दलित मतदाताओं का भाजपा से मोहभंग हुआ है।
ऐसे में कांग्रेस को खड़गे के नेतृत्व और संगठन में दलित नेताओं को ज्यादा हिस्सेदारी देने का फायदा मिल सकता है। पार्टी ने रायपुर महाधिवेशन के दौरान संगठन में एससी/एसटी, ओबीसी व अल्पसंख्यकों की हर स्तर पर हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया था। इसलिए कांग्रेस पार्टी लोकसभा की 131 सीट पर खास ध्यान दे रही है।
अब लालू प्रसाद की बात याद कर लें क्योंकि उन्होंने यह बात भले ही हंसी के अंदाज में कही थी लेकिन उसका अर्थ समझना जरूरी है। राहुल गांधी को शादी की सलाह देने के मौके पर ही लालू प्रसाद ने कहा था कि इस बार हनुमान जी हमलोगों के साथ है। उन्होंने कहा था कि कोल, भील, नल और नील को साथ लेकर इस बार लड़ाई में उतरना है।
इसके जरिए वह उस जातिगत गोलबंदी की तरफ इशारा कर गये थे, जिसके खिसक जाने पर भाजपा को अनेक सीटों पर परेशानी हो सकती है। भाजपा विरोधी दलों के नेता भी मानते हैं कि भाजपा के खिलाफ एक प्रत्याशी खड़ा करने पर सहमति होने पर करीब साढ़े चार सौ सीटों पर सीधी लड़ाई होगी। इनमें से साढ़े तीन सौ सीटों पर भाजपा को मिले वोटों के मुकाबले विरोधी वोट अधिक रहे हैं, जो बंट गये थे। यह वोट अगर एकजुट हुआ तो चुनावी परिणाम क्या होगा, उसी बात को लालू प्रसाद ने हल्के अंदाज में व्यक्त किया था।