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आईपीएस निशांत तिवारी ने पुलिस की नौकरी छोड़ी

  • पहले से फोटोग्राफी और पुस्तकें लिखने का शौक

  • पत्नी अश्वनी दत्तात्रेय भी हैं आईएएस अधिकारी

  • बिहार के कई जिलों में अपने काम का लोहा मनवाया

दीपक नौरंगी

भागलपुर : अपने जमाने के तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी निशांत तिवारी ने अपने पद से त्याग पत्र देकर सबों को अचंभित कर दिया है। मूल रूप से भोजपुर के रहने वाले निशांत तिवारी ने 1996 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। और पूरे बिहार में टॉपर रहे। उसके बाद यही नहीं सरदार वल्लभभाई पटेल, राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद 2005 बैच के आईपीएस निशांत तिवारी ट्रेनिंग में भी टॉपर रहे। हैदराबाद पुलिस प्रशिक्षण के दौरान भी उन्होंने अपने टीम के सदस्यों को लोहा मनवाया।

अपराध नियंत्रण की उनकी शैली लोगों के बीच चर्चा की विषय बना रहा है। एसपी के तौर पर पहली पोस्टिंग निशांत तिवारी की बगहा जिला में हुई उसके बाद नवादा के एसपी बनाए गए। फिर बेतिया एसपी फिर नालंदा एसपी फिर एसएसपी गया, फिर पूर्णिया एसपी रहते हुए ही वहां से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए। एसपी तिवारी विभिन्न स्थानों पर रहते हुए पूर्णिया में भी एसपी के रूप में तैनात रहे। यहां उन्होंने कई कुख्यात अपराधी गिरोह पर नकेल कसा।

वे अच्छे लोगों के मित्र थे, तो अपराधियों के सबसे बड़े दुश्मन। आरा के रहने वाले आईपीएस अधिकारी निशांत तिवारी के बारे में बताया जाता है कि तीन बहनों में यह सबसे बड़े भाई थे। निशांत तिवारी के पिता भी खुद इंजीनियर थे आईपीएस निशांत तिवारी की पत्नी भी 2006 बैच की आईएएस अधिकारी है बताया जाता है कि आईपीएस निशांत तिवारी ने अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव भी देखा।

आईपीएस निशांत तिवारी के द्वारा पुलिस की नौकरी छोड़ने का सबसे बड़ा फैसला आईएएस और आईपीएस महकमों में चर्चा का विषय बना हुआ है। उनकी नौकरी के त्यागपत्र देने वाली बात अभी तक प्रशासनिक किसी अधिकारी ने इसकी पुष्टि नहीं की है। पर्यावरण के प्रति उनके लगाव को इस बात से समझा जा सकता है कि यदि कोई पशु पक्षी या पर्यावरण से संबंधित कोई तस्वीर दिखाई पड़ती तो वे कैमरा लेकर उस तस्वीर को कैद करने के लिए दौड़ पड़ते।

लोगों के बीच ऐसा भ्रम हो जाता था कि मानो एसपी साहब किसी अपराधी को पकड़ने के लिए दौड़ रहे हैं। उन्होंने मगध के एतिहासिक स्थल को लेकर एक शानदार पुस्तक भी अंग्रेजी में लिखी। उक्त पुस्तक का प्रशासन विदेशी प्रकाशकों  ने किया। पूर्णिया में अपनी सेवा देने के बाद वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए।

उनके समय में पूर्णिया के डीएम प्रदीप झा हुआ करते थे। डीएम और एसपी के बीच बहुत बेहतर तालमेल था। अब निशांत तिवारी के निकटवर्ती सूत्रों का कहना है कि आईपीएस की सेवा से त्यागपत्र देकर वे ऑस्ट्रेलिया के किसी विश्वविद्यालय में छात्रों को पढ़ाने का काम करेंगे। निशांत तिवारी आईपीएस रहते हुए भी पढ़ाई के लिए गरीब छात्रों को सदा प्रेरित करते रहे। उनके आईपीएस से त्याग पत्र देने के बाद सब के सब हैरान और खामोश हैं। खामोश हैं कि आखिरकार निशांत ने अपने कैरियर को लेकर इतना बड़ा फैसला कैसे लिया।

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