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नईदिल्लीः किसी भी दुकान से सामान खरीदने के बाद बिल देते वक्त अक्सर ही दुकानदार आपसे मोबाइल फोन नंबर की मांग करते हैं। कई मामलों में पता चला है कि इस तरीके से बिल के जरिए भी लोगों के मोबाइल नंबर तक पहुंचने के बाद साइबर अपराधियों ने उसके खाते से पैसे उड़ा लिये हैं।
इसलिए सरकार अब फर्जी संदेश या फोन कॉल के जरिए वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए कदम उठा रही है। इसलिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने फोन से इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए खरीदारों को नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
गाइडलाइंस के मुताबिक, किसी भी ग्राहक को खरीदारी करने के बाद बिल चुकाने के नाम पर अपना पर्सनल फोन नंबर देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। अनेक प्रमुख प्रतिष्ठानों में इसी नंबर के आधार पर ग्राहकों को बेहतर ऑफर की पूर्व सूचना देने के अलावा उनके जन्मदिन पर शुभकामना संदेश देने की प्रथा चल रही है।
अब इस पर भी रोक लगाने की पहल की गयी है। उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, कई विक्रेता खरीद के बाद फोन नंबर दिए बिना रसीद देने से मना कर देते हैं, जो कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार पूरी तरह से अनैतिक है।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए खुदरा विक्रेताओं और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और भारतीय उद्योग परिसंघ जैसे संगठनों को ऑर्डर भेजा गया है। इस तरीके से ग्राहकों को फोन नंबर दुकान के बिल बुक अथवा अन्य रिकार्ड से जालसाजों तक पहुंचना रोका जा सकेगा।
कई साइबर मामलों की जांच में इस बात का पता चला है कि इन्हीं माध्यमों से जालसाजों ने फोन धारक को ठगा था। आम तौर पर बिल में दर्ज मोबाइल नंबर मिलने के बाद उसके बारे में दूसरे विवरण भी ऐसे साइबर ठग आसानी से हासिल कर लेते हैं। इसलिए अब सभी दुकानदारों को यह निर्देश दिया गया है कि वे सामान की खरीद पर बिल बनाते समय भी ग्राहकों को अपना मोबाइल नंबर देने पर बाध्य नहीं कर सकेत हैं।