-
अस्पताल के डाक्टरों ने जबाव दे दिया था
-
मौत हुई तो ऑटो चालक उतारकर भाग गया
-
पुलिस वालों को लाश ढोने वाले की सूचना मिली
राष्ट्रीय खबर
विशाखापत्तनमः यह उड़ीसा की घटना है लेकिन यहां उसकी चर्चा अधिक हो रही है। दरअसल उड़ीसा के कोरापुट इलाके का एक गरीब व्यक्ति सामुलू पांगी अपने पत्नी का इलाज कराने विशाखापत्तनम ले आया था। यहां के एक अस्पताल में भर्ती होन के बाद भी उसकी पत्नी की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ।
दो दिन पूर्व अस्पताल के लोगों ने उसे यह बताया कि ईलाज का कोई फायदा उसकी पत्नी को नहीं हो रहा है। इसलिए पैसा खर्च करने के बदले अच्छा होगा कि वह अपनी पत्नी को अंतिम समय में अपने घर ही ले जाए।
इसी सूचना के आधार पर सामुलू ने यहां से एक ऑटो किराये पर लेकर अपनी बीमार पत्नी को लेकर घर लौट रहा था। ऑटो से घर लौटते वक्त रास्ते में ही उसकी पत्नी की मौत हो गयी। ऐसा देख ऑटो चालक ने आगे जाने से इंकार कर दिया।
उसने सामुलू को अपनी पत्नी की लाश गाड़ी से उतार लेने की बात कही और उसी हालत में वह ऑटो चालक वापस लौट गया। पता चला है कि विशाखापत्तनम से उसका गांव करीब एक सौ किलोमीटर की दूरी पर है।
अपनी बीमार पत्नी को लेकर वह अस्सी किलोमीटर की दूरी ऑटो में तय कर चुका था। आरोप है कि इसके बाद ऑटो चालक उन्हें बीच सड़क पर छोड़कर चला गया।
खाली सड़क पर कोई वाहन नहीं देखकर आखिरकार सामुलु अपनी पत्नी की लाश को कंधे पर लेकर गांव की ओर चल पड़ा। उसे पता था कि अपने गांव तक पहुंचने के लिए महज 20 किलोमीटर का सफर बाकी है। इस बीच पुलिस को सूचना मिली कि एक व्यक्ति कंधे पर शव रखकर सड़क पर चल रहा है।
उसके बाद पुलिस ने सामूलू के लिए एंबुलेंस का इंतजाम किया। इस घटना ने दाना मजीर की याद ताजा कर दी है। 2016 की इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।
संयोग से दाना मांझी भी ओडिशा के रहने वाले हैं। अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद, गरीब दाना मांझी ने अस्पताल के अधिकारियों से उसके शरीर को घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था करने के लिए कहा।
आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की। वह किराए पर कार लेने और अपनी पत्नी के शव को घर ले जाने का खर्च भी वहन नहीं कर सकता था। पत्नी का शव कंधे पर रखकर घर पहुंचने के लिए उन्हें 21 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था।