रांचीः भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम सांसद दीपक प्रकाश ने आज झारखंड विधानसभा अध्यक्ष के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी जिसमे उन्होंने भाजपा को नेता प्रतिपक्ष चुनने की सलाह दी है।
उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पर यह आरोप लगाते हुए कहा कि वह संवैधानिक मर्यादाओं को तार तार कर रहे हैं। इससे विधानसभा अध्यक्ष आसन की गरिमा धूमिल कर रहे हैं।
उनके बयान से संवैधानिक मर्यादाएं तार तार हुई हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे विधानसभा अध्यक्ष किसी दल विशेष के आधिकारिक प्रवक्ता बन गए हैं।
श्री प्रकाश ने कहा भाजपा के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का उनका कोई नैतिक और संवैधानिक अधिकार नहीं है। अच्छा होता वे अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन करते।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने नेता विधायक दल चुनकर विधानसभा अध्यक्ष को लिखित दे दिया है। जहां तक दलों के विलय का मामला है चुनाव आयोग ने उसपर अपनी संवैधानिक मुहर लगा दी है। बावजूद इसके इसे न्यायाधिकरण के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया में उलझा दिया गया है। फैसले को भी लटकाया,अटकाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि दरअसल राज्य सरकार के इशारे पर विधानसभा अध्यक्ष ने झारखंड विधानसभा को अधिकृत रूप में नेता प्रतिपक्ष से वंचित रखा है। कहा कि आज राज्य में नेता प्रतिपक्ष नही होने से कई विधायी कार्य प्रभावित हो रहे ।
सूचना आयुक्त सहित कई संवैधानिक पद खाली पड़े हैं। श्री प्रकाश ने कहा कि राज्य सरकार की नीति नियत दोनो में खोट है।यह सरकार राज्य की भलाई नही चाहती। केवल परिवार की भलाई चाहती है।