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दक्षिण में कदम जमाने की मोदी की पहल

दक्षिण भारत में भारतीय जनता पार्टी की जड़ें मजबूत हो, इसकी पहले खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। दरअसल राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को दक्षिण भारत में मिले समर्थन के  बाद इस मैदान को खुला नहीं छोड़ा जा सकता है, यह तो हर कोई समझता है।

दक्षिण भारत के सभी पांच राज्य आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल की बात करें तो यहां कुल 129 लोकसभा सीटें हैं, ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत दिल्ली में सरकार गठन में काफी अहम भूमिका निभा सकता है। इसलिए अगर उत्तर भारत के किसी राज्य में भाजपा की स्थिति बेहतर नहीं रही तो यह कमी दक्षिण भारत पूरा कर सकता है। यह अलग बात है कि इन राज्यों के अपने राजनीतिक समीकरण हैं, जहां कर्नाटक में भाजपा की सरकार है। वह सरकार भी कैसे बनी है, यह भी जगजाहिर है।

इसलिए अपने तेलंगना दौरे में नरेंद्र मोदी ने वहां की सरकार के मुखिया केटी राव पर परोक्ष हमला बोलकर इस राज्य में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश की है। वह कह आये हैं कि इस राज्य की जनता पब्लिक फर्स्ट चाहती है जबकि सरकार फैमिली फर्स्ट के फार्मूले पर काम करती है। भारतीय जनता पार्टी ने पूर्वोत्तर के राज्य असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा में सरकार बनाई, साथ ही कर्नाटक में गठबंधन की पटखनी देकर सरकार बनामें सफलता पायी है। उनसे तो आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु में अपनी उपस्थिति को दर्ज कराया है।

इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव में हिंदी भाषी राज्यों के अलावा इस बार दक्षिण भारत की राजनीति काफी अहम भूमिका निभाने वाली है। दक्षिण भारत की राजनीति में पिछले कुछ समय में काफी बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। तमिलनाडु में में जिस तरह से मुख्य क्षेत्रीय दल डीएमके और एआईएडीएमके के दिग्गज नेता एम करुणानिधि और जयललिता का निधन हुआ उसके बाद यहां एक मजबूत नेता की जगह को भरने की लगातार कवायद चल रही है।

अब भाजपा नेताओँ की दक्षिण भारत का दौरा भी धीरे से तेज हो जाएगा, जिसके जरिए वहां की राजनीति को साधने और उत्तर भारत के किसी भी नुकसान की भरपाई वहां से करने का काम होगा। श्री मोदी ने तेलंगना और आंध्रप्रदेश को कई परियोजनाओं की सौगात दी है। इससे इन राज्यों में भाजपा को राजनीतिक लाभ मिल सकता है।

यह काम इसलिए भी जरूरी है क्योंकि भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी ने महाराष्ट्र की सीमा में प्रवेश करते ही महाराष्ट्र की बड़ी परियोजनाओँ को गुजरात ले जाने का राजनीतिक तोप दाग दिया है। मराठी मानुष इन मुद्दों को बेहतर तरीके से समझता है।

दूसरी तरफ संजय राउत के जेल से बाहर आने के क्रम में अदालत ने जो टिप्पणी की है, उसका भी असर होना तय है, जिस बारे में महाराष्ट्र में भाजपा या एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना सफाई तक देने की स्थिति में नहीं है। मोदी और शाह के मुलाकात की बात करने के बाद संजय राउत ने चिकित्सकों की सलाह पर राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होने की बात कही है। इस पूरी राजनीति को समझने के लिए बिहार के खेमाबदल को ज्यादा गंभीरता से समझना होगा क्योंकि नीतीश कुमार के खेमा बदल की वजह से ही भाजपा को नये सिरे से पूरी रणनीति तैयार करने की जरूरत आ पड़ी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि तेलंगाना की जनता फैमिली-फर्स्ट नहीं बल्कि पीपल-फर्स्ट की राजनीति चाहती है और इसलिए वे यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तेलंगाना विकास की राजनीति चाहता है और यहां की प्रगति के लिए केवल भाजपा ही काम कर सकती है। तेलंगाना के साथ भाजपा का संबंध मजबूत रहा है और आने वाले समय में यह और गहरा होगा। मेहनती कार्यकर्ताओं के अथक प्रयासों के कारण भाजपा राज्य की जनता के लिए आशा की किरण बन गयी है तथा 2023 के विधानसभा चुनाव में राज्य कमल खिलने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और परिवार का विकास लोकतंत्र एवं सामाजिक न्याय के सबसे बड़े दुश्मन हैं। श्री मोदी ने कहा कि पूरे देश को पता होना चाहिए कि अंधविश्वास के नाम पर तेलंगाना में क्या हो रहा है। तेलंगाना के लोग परिवारवार से परे एक ऐसी सरकार चाहते हैं जो प्रत्येक परिवार के लिए काम करे। इससे पहले बेंगलुरु में उन्होंने फिर से पिछली सरकारों के माथे पर ठिकरा फोड़ने का काम किया था। उन्होंने कहा था कि 2014 से पहले गति और पैमाने के गुणों को अपनाना कल्पना से परे था। पिछली सरकारों ने गति को विलासिता के रूप में और पैमाने को जोखिम के रूप में माना, हमारी सरकार ने इस प्रवृत्ति को बदल दिया है। हम गति को आकांक्षा और पैमाने को भारत की शक्ति मानते हैं। इससे स्पष्ट है कि संभावित खतरे को भांपते हुए मोदी पहले से ही दक्षिण भारत की अपनी जमीन मजबूत करने में जुट गये हैं।

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