सब दांव तो चल लिये पर यह झारखंडी वोटर जो है वह अजीब किस्म का प्राणी है। तमाम राष्ट्रीयता और बांग्लादेशी घुसपैठ की बातों को सुनता रहा, सहमति में सर भी हिलाता रहा पर जब वोटिंग की बारी आयी तो अचानक से मईया योजना याद आ गयी। होने क्या था, मईया योजना का जो असर होना था, वही हुआ। अब अकेले मोदी जी ही यह चाल क्यों चलें।
दूसरों को भी इस खेल का यह दांव समझ में आ गया है। पहले मोदी जी किसानों को सम्मान निधि देते थे। अब अरविंद केजरीवाल ने इससे आगे का खेल कर दिया है। पढाई और ईलाज भी मुफ्त। जो दूसरे कैसे पीछे रह जाते। ममता बनर्जी ने लक्खिर भांडार का दांव चला। पांच किलो राशन से अब लोग संतुष्ट नहीं है। दरअसल यही भारतीय जनमानस की सोच है।
थोड़े से फायदे में वह लंबे समय तक संतुष्ट नहीं रहता। बेचारे हिमंता बिस्वा सरमा, इतनी मेहनत की। कार्यकर्ताओं को अलग तरीके से ऑक्सीजन भी दिया पर नतीजा वही ढाक के तीन पात।
झामुमो की सहयोगी कांग्रेस को भी सोरेन की रणनीति से सीख लेनी चाहिए कि कैसे पार्टी के सामाजिक आधार को व्यापक बनाते हुए जड़ जमाए हुए कल्याणवाद के साथ भाजपा की चुनौती का मुकाबला किया जाए। झामुमो सत्ताधारी होने के नाते, कई योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए अभियान की दिशा तय कर सकता है, जिसने लोगों को ठोस लाभ पहुँचाया है।
मैया सम्मान योजना, जिसके तहत वंचित महिलाओं को 1,000 रुपये प्रतिमाह दिए जाने, 40 लाख परिवारों के लिए बिजली बिल माफ करने और 40 लाख व्यक्तियों के लिए सार्वभौमिक पेंशन देने की योजना ने जेएमएम के पारंपरिक आधार से परे मतदाताओं को भी प्रभावित किया है।
हेमंत सोरेन द्वारा खुद को और जेएमएम को आदिवासी अधिकारों के संरक्षक के रूप में पेश करने में भी प्रामाणिकता की झलक देखने को मिली। इसमें उन्होंने झारखंड के निर्माण में अपने पिता शिबू सोरेन की भूमिका को आगे बढ़ाया।
इसी बात पर वर्ष 1997 में बनी फिल्म दीवाना मस्ताना का यह गीत याद आने लगा है। इस गीत को लिखा था आनंद बक्षी ने और संगीत में ढाला था लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने। इस गीत को अल्का याग्निक, उदित नारायण और विनोद राठौड़ ने अपना स्वर प्रदान किया था। गीत के बोल कुछ इस तरह हैं
तेरे बिना दिल लगता नहीं ओ मेरी जान क्या करूँ
क्या करू क्या करू क्या करूँ
तेरे बिना दिल लगता नहीं ओ मेरी जान क्या करूँ
क्या करू क्या करू क्या करूँ
तू जो नहीं कुछ भी नहीं तू जो नहीं कुछ भी नहीं
मैं ये जहा क्या करूँ
क्या करू क्या करू क्या करूँ
तेरे बिना दिल लगता नहीं ओ मेरी जान क्या करूँ
क्या करू क्या करू क्या करूँ
तूने कहा नहीं मैंने सुना है तूने कहा नहीं मैंने सुना है
लाखो मैं तूने मुजा को चुना है क्या सच है ये सपना नहीं
आता नहीं मुझको यकीं ये क्या हुआ किसे हुआ
मैं हुआ हैरान क्या करूँ क्या करूँ
क्या करूँ क्या करूँ
तेरे बिना दिल लगता नहीं ओ मेरी जान क्या करूँ
क्या करू क्या करू क्या करूँ
तेरे बिना दिल लगता नहीं ओ मेरी जान क्या करूँ
क्या करू क्या करू क्या करूँ
तेरे बिना दिल लगता नहीं ओ मेरी जान क्या करूँ
क्या करू क्या करू क्या करूँ
तेरे बिना दिल लगता नहीं ओ मेरी जान क्या करूँ
क्या करू क्या करू क्या करूँ
तू जो नहीं कुछ भी नहीं तू जो नहीं कुछ भी नहीं
मैं ये जहा क्या करूँ क्या करू क्या करू क्या करूँ
तेरे बिना दिल लगता नहीं ओ मेरी जान क्या करूँ
क्या करू क्या करू क्या करूँ
तेरे बिना दिल लगता नहीं ओ मेरी जान क्या करूँ
क्या करू क्या करू क्या करूँ
तू जो नहीं कुछ भी नहीं तू जो नहीं कुछ भी नहीं
मैं ये जहा क्या करूँ क्या करू क्या करू क्या करूँ
तेरे बिना दिल लगता नहीं ओ मेरी जान क्या करूँ
क्या करू क्या करू क्या करूँ
तूने कहा नहीं मैंने सुना है तूने कहा नहीं मैंने सुना है
लाखो मैंन तूने मुजा को चुना है क्या सच है ये सपना नहीं
आता नहीं मुझको यकीं ये क्या हुआ किसे हुआ
मैं हुआ हैरान क्या करूँ क्या करूँ
क्या करूँ क्या करूँ
तेरे बिना दिल लगता नहीं ओ मेरी जान क्या करूँ
क्या करू क्या करू क्या करूँ।
दूसरी ओर, भाजपा उन असुरक्षाओं और आशंकाओं को दूर नहीं कर पाई कि इससे भूमि और संसाधनों के अधिकार कम हो जाएंगे या इससे आदिवासी पहचान को खतरा होगा या उसकी रक्षा करने में विफलता मिलेगी। इस साल की शुरुआत में धन शोधन के आरोपों में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को देखते हुए, यह जीत उनके लिए व्यक्तिगत औचित्य और राजनीतिक जीत दोनों है।