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ईवीएम पर सवालों का जवाब दे आयोग : कांग्रेस

चुनाव परिणामों के गहन विश्लेषण के बाद उठे सवाल


  • वॉइस ऑफ डेमोक्रेसी ने इसे पकड़ा है

  • अधिकारिक आंकड़ों में ही अंतर क्यों

  • छह प्रतिशत का फर्क छोटी बात नहीं

राष्ट्रीय खबर


नयी दिल्ली: कांग्रेस ने कहा है कि हाल में हुए आम चुनाव के परिणामों को लेकर एक विश्लेषण सामने आया है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में गड़बड़ी की बात कही गई है और इस पर उठे सवालों का चुनाव आयोग को जवाब देना चाहिए।

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चुनाव आयोग ईवीएम के परिणामों को लेकर किसी भी संदेह से इनकार करता है और वोटिंग मशीन में गड़बड़ी नहीं होने का दावा करता है, लेकिन हाल में सामने आए विश्लेषण से शुरुआती और आखिरी चुनाव परिणाम में अंतर मिला है जो इवीएम पर सवाल खड़े करता है।

श्री दीक्षित ने कहा वॉइस ऑफ डेमोक्रेसी नाम की संस्था ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव परिणामों पर एक विश्लेषण किया है। विश्लेषण के मुताबिक शुरुआती चरण में घोषित आंकड़ों और आखिरी चरण के अंतिम आंकड़ों में अंतर है। राष्ट्रीय स्तर पर शुरू के और आखिरी आंकड़ों में यदि छह प्रतिशत का अंतर है तो क्या ये नतीजे सही थे।

उन्होंने कहा, चुनाव आयोग ने हर फेज से कई दिन बाद तक फाइनल आंकड़ें दिए। ये तब है, जब कहा जाता है कि ईवीएम से बेहतर कुछ नहीं है, ईवीएम से हर चीज पता चल जाती है। ईवीएम से जब वोटिंग चालू होती है तो हर दो घंटे में चुनाव आयोग को आंकड़ें भेजने होते हैं कि बूथ पर कितनी वोटिंग हुई है।

अगर हम राज्यों के स्तर पर देखें तो पता चलेगा कि आश्चर्यजनक तरीके से आंध्र प्रदेश और ओडिशा में 12.5 प्रतिशत वोट बढ़ जाता है। संयोग है कि ओडिशा और आंध्र प्रदेश में भाजपा और उसके गठबंधन ने चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन ईवीएम के इस जमाने में यदि आंकड़ों में ऐसा अंतर है तो यह पूरी चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है।

श्री दीक्षित के अनुसार इस बारे में चुनाव आयोग से पूछा गया तो आयोग ने जवाब में कहा, इंटरनेट जैसी समस्याओं के कारण पूरी जानकारी नहीं दे पाते थे, लेकिन चुनाव आयोग ने एक और आंकड़ा जारी किया था जिसका जवाब ही उन पर सवाल खड़े करता है। चुनाव आयोग ने कहा कि 2019 में भी हम कुछ फेज में देरी से डेटा दे पाए थे, लेकिन उस समय भी सात बजे जारी किए गए डेटा और फाइनल डेटा में एक प्रतिशत से भी कम का अंतर था।

आयोग संवैधानिक संस्था है और अगर संवैधानिक संस्था के काम लोकतंत्र पर सीधे असर करते हैं तो उन्हें अपना पक्ष रखने की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने कहा, वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी होती है और सब मानते हैं कि मशीनों में गड़बड़ी है, लेकिन चुनाव आयोग कहता है कि मशीनों में कोई गड़बड़ी नहीं है तो फिर ऐसा क्यों होता है कि जहां 907 वोट पड़ते हैं तो वहां 970 वोट कैसे हो जाते हैं और जहां 970 पड़ते हैं वहां 960 कैसे दिखते हैं।

श्री दीक्षित ने कहा, इस रिपोर्ट में कई तरीके से विश्लेषण किया गया है। इसमें दिखाया गया है कि कौन कितने अंतर से जीता है और कहां कितना वोट प्रतिशत बढ़ा है। चुनाव आयोग से हमारा ये कहना है कि वे इस रिपोर्ट पर जवाब दें क्योंकि उन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यदि चुनाव आयोग इस रिपोर्ट पर संतोषजनक जवाब नहीं देता है तो यह गंभीर प्रश्न बनेगा।

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