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ईडी की जांच में बड़ी मछलियों को फंसने का भी खतरा

जनतंत्र मोर्चा ने सात सौ एकड़ पर सवाल उठाया


  • किन अफसरों ने जमीन खरीदा पता चले

  • दस्तावेज में दर्ज होंगे ऐसे लोगों के नाम

  • किन अधिकारियों ने इसे बढ़ावा दिया


राष्ट्रीय खबर

रांचीः भारतीय जनतंत्र मोर्चा के अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने कहा झारखंड में जमीन की लूट की छूट है। ई डी ने अपने जांच में बड़ा खुलासा, अब तक का किया है। एक तरफ जमीन के केस में मुख्यमंत्री जेल जाते हैं। दूसरी तरफ यहां के अधिकारी, पदाधिकारी आईएएस, आईपीएस  थानेदार अंचलाधिकारी, कर्मचारी  सभी ने मिलकर दलालों के साथ-साथ गांठ करके  700 एकड़ जमीन बेच दिए केवल कांके अचल का, सरकार खामोश है। किसी ने सोचा नहीं था यह तो एक खिलाड़ी का करामत और कितने खिलाड़ी हैं। इसी कारण हत्या अपराध भी राजधानी में बढ़ गए हैं।

श्री तिवारी ने कहा झारखंड के लिए शर्म की बात। जब से झारखंड बना है तभी से अभी तक का जांच विभागों में इडी को ही करना चाहिए। जबकि यहां जांच एजेंसी के तौर पर एसीबी है, पुलिस तंत्र है, फिर भी सब ने मिलकर के झारखंड को अलग-अलग तरीके से लूटने में लगे। भ्रष्टाचार का बोलबाला हर विभाग और क्षेत्र में।  दलाल और अधिकारी झारखंड के मस्त है। सारे अधिकारियों विभागों कर्मचारी जनप्रतिनिधियों के सभी मित्रों, रिश्तेदारों नौकरों के संपत्तियों की जांच होनी चाहिए ।

इसमें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भी सहयोग करना चाहिए। ज्ञात हो कि यहां के नौकरों के यहां भी करोड़ों रुपए मिलते हैं। जिनकी आज कोई हस्ती नहीं थी वह दलाल आईएएस, आईपीएस, नेता मंत्री सबके पैसे को जमीन में इन्वेस्ट करते हैं। अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं।  सरकार सही में महागठबंधन की झारखंड का भला चाहती है  जो जमीन लूटी गई है आदिवासियों की उसे दलालों से मुक्त करना चाहिए।  कोई भी अपने दायित्व का निर्वहन कर्मचारी पदाधिकारी यहां नहीं कर रहे।

सरकार केवल आदिवासी मूलवासी करती है लेकिन उनके हितों की रक्षा नहीं कर पाती। बेरोजगारी, विस्थापन, पलायन, कि  समस्या बहुत बड़ी है। कांके आंचलमें जब 700 एकड़ की लूट है तो और अंचलों में क्या हाल होगा। झारखंड के सभी अंचलों की जांच होनी चाहिए। यहां जमीन की प्रकृति को भी चेंज कर दिया जाता है। भोले भाले ग्रामीण  दलालों के चंगुल में फंस जाते हैं।

कोलकाता से रजिस्ट्री कराकर गलत पेपर बनवाकर लोगों के जमीन पर दलाल कब्जा करते हैं। बेचारे ग्रामीण बेसहारा हो जाते हैं पुलिस का पूरा सहयोग होता है कब्जा दिलाने में। बहुतलोग इस राज्य में बेघर और अपने जमीन से बेदखल हो गए।  दस्तावेजों की छानबीन के साथ-साथ जो ग्रामीण है जिनके साथ अन्याय हुआ है उनके लिए एक विभाग बनाया जाए । ताकि वह अपना वहां आपत्ति दर्ज कर सके। जिससे उन्हें न्याय मिल सके। न्याय के लिए भटकना न पड़े। एक-एक जमीन की रजिस्ट्री दो दो लोगों को।

भारतीय जनतंत्र मोर्चा इसका विरोध करती है। ईडी  की कार्रवाई में क्या दस्तावेज मिले हैं और उसमें कौन कौन अधिकारी का नाम शामिल है, यह अब नये और बड़ा सवाल बन गया है।  जमीन कारोबारी कमलेश कुमार से जुड़े मामले की जांच के लिए ईडी की टीम बुधवार को रांची के कांके स्थित चामा गांव पहुंची। दरअसल, जांच एजेंसी को सूचना मिली थी कि कमलेश सिंह ने कई लोगों की जमीन पर जबरन कब्जा कर रखा है। सरकार और जांच एजेंसियों को कोई जानकारी नहीं होने के बाद भी आम लोगों को पता है कि इस युवक पर किस वरीय आईपीएस अधिकारी का हाथ था, जिसकी बदौलत वह इतना कुछ कर पा रहा था। अब जनतंत्र मोर्चा द्वारा सवाल उठाये जाने के  बाद सात सौ एकड़ जमीन का मामला भी चर्चा में आ गया है।

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