Breaking News in Hindi

सीएस और डीजीपी बदलने का खेल भंडूल

सत्ता परिवर्तन की आहट से आहत हो गये व्यूरोक्रेसी के खिलाड़ी


  • कई तबादले उनकी जानकारी के बिना

  • अफसरों का खास गिरोह सक्रिय है यहां

  • ऐसे अफसरों में खास विश्वासपात्र भी शामिल


राष्ट्रीय खबर

रांचीः झारखंड की अफसरशाही के शीर्ष पर बदलाव का खेल शायद सत्ता परिवर्तन की वजह से असमय काल के गाल में चला गया। झारखंड के अफसरों का एक खास गिरोह फिलहाल राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी दोनों को बदलने के लिए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को लगभग मना चुका था। इस बीच ही हेमंत सोरेन द्वारा दोबारा सत्ता संभालने की सूचना ने इस साजिश को अंजाम तक पहुंचाने से रोक दिया है।

सूत्रों की मानें तो हेमंत सोरेन के जेल में होने के दौरान ही कई बड़े तबादले हुए और उनके बारे में हेमंत सोरेन तक जानकारी तब पहुंची जब इन तबादलों का नोटिफिकेशन जारी हो गया। इसलिए हेमंत सोरेन और उनके सलाहकारों ने मामले की तह में जाने की कोशिश की। छान बीन से यह पता चला कि दरअसल इस खेल में वह अधिकारी भी शामिल थे, जिसे हेमंत सोरेन का विश्वासपात्र अफसर समझा जाता था।

उसके  बाद से लगातार नजरदारी से यह भी पता चला कि उक्त अधिकारी ने अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं से भी अपना रिश्ता अच्छा बना रखा है। ईडी के रडार पर होने के बाद भी वह अब तक बचे हुए हैं पर झारखंड के शराब घोटाले की जांच की गाड़ी कहां तक पहुंची है, इस पर सभी मौन है।

अब हेमंत सोरेन को जमानत मिलने के बाद यह सोच बनी थी कि फिलहाल चंपई सोरेन ही राज्य के मुख्यमंत्री बने रहेंगे ताकि हेमंत सोरेन को विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए पूरा वक्त मिल सके। इसके बीच ही अफसरों के गिरोह द्वारा मुख्य सचिव और डीजीपी को बदलने की भनक भी हेमंत खेमा के लोगों को मिल गयी। दरअसल राज्य में लोकसभा का चुनाव शांतिपूर्वक होने की वजह से हेमंत सोरेन वर्तमान ब्यूरोक्रेसी के समीकरणों से संतुष्ट हैं। ऐसे में सत्ता की कमान संभालने का फैसला लिया गया ताकि विधानसभा चुनाव से पहले फिर से अड़चन नहीं आये। खबर है कि हेमंत सोरेन के लोगों ने भी संभावित फेरबदल के बारे में अपने अपने स्तर पर खोजबीन करने के बाद हेमंत सोरेन को जानकारी दी है।

वैसे भी जानकार मानते हैं कि जातिगत समीकरणों के आधार पर मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को बदलने का फैसला झामुमो और इंडिया गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है, ऐसा दिल्ली के नेता भी मान रहे हैं। इसलिए हेमंत सोरेन की तरफ से चुनावी राजनीति को ध्यान में रखते हुए जल्दबाजी में होने वाले किसी भी ऐसे फैसले को रोकना जरूरी हो गया था।

उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।