-
नागरिकता के लिए आधार वर्ष 1951 का समर्थन
-
म्यांमार का हिस्सा बताने पर सिब्बल पर भड़के सीएम
-
सब कार्रवाई कानून के मुताबिक ही राज्य में की जाएगी
भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी : असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने 10 दिसंबर को कहा कि अवैध घुसपैठ के मुद्दे से निपटने के लिए सरकार के प्रयास जारी रहेंगे। स्वाहिद दिवस के अवसर पर पत्रकारों से बात करते हुए, सीएम सरमा ने कहा कि सरकार फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर में धोखाधड़ी से दर्ज नामों की पहचान करने और विशेषज्ञों के साथ काम करने के बाद उन नामों का खुलासा करने की बड़ी योजना पर काम कर रही है।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि जिन नामों को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में धोखाधड़ी से शामिल किया गया है, उन्हें हटा दिया जाएगा। सरकार एनआरसी की अखंडता को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि केवल वैध नागरिकों को शामिल किया जाए। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि वह किसी व्यक्ति की नागरिकता निर्धारित करने के लिए आधार वर्ष 1951 के समर्थन में हैं, लेकिन कानून जो भी कहता है उसे स्वीकार करेंगे।
सीएम सरमा ने आगे दोहराया कि सरकार असम समझौते के खंड 6 में निर्धारित सभी शर्तों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि अब राज्य के स्वदेशी असमिया लोगों को रोजगार पूरी तरह से प्रदान किया जाता है और इसलिए उनके अधिकार कानून के तहत संरक्षित हैं और उन्हें अपनी नौकरी, भूमि या पहचान के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
राज्य में हाल ही में हुए ग्रेनेड हमलों पर बोलते हुए, सीएम सरमा ने कहा कि जब तक उल्फा-आई प्रमुख परेश बरुआ मुख्यधारा में शामिल नहीं होते हैं, तब तक ऐसी उग्रवादी गतिविधियां जारी रहेंगी। असम में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) के फाइनल ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों के नाम शामिल न किए जाने पर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा मचा हुआ है। हालांकि इनमें ऐसे लोगों की संख्या 5 लाख से अधिक है, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के सहारे असम एनआरसी में जगह बनाने की कोशिश की।
इस बीच वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल के असम को म्यांमार का हिस्सा बताने पर हंगामा हो गया है। असम के सीएम हिमंता बिस्व सरमा ने कपिल सिब्बल पर पलटवार करते हुए कहा है कि अगर उन्हें इतिहास की जानकारी नहीं है तो उन्हें नहीं बोलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा था कि ‘पलायन को रोका नहीं जा सकता।
अगर आप असम के इतिहास को देखें तो आपको समझ आएगा कि कौन कब आया, इसका पता लगाना असंभव है। असम असल में म्यांमार का हिस्सा था। साल 1824 में जब ब्रिटिश ने लडाई जीती तो संधि के तहत असम पर ब्रिटिश शासन का राज हो गया था। कपिल सिब्बल के बयान पर असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने पलटवार किया है।
पत्रकारों से बात करते हुए असम सीएम ने कहा कि ‘जिन्हें असम के इतिहास की जानकारी नहीं है उन्हें नहीं बोलना चाहिए। असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं था। दोनों के बीच लड़ाईयां हुईं और यही इनके बीच रिश्ता था। इसके अलावा मैंने ऐसा कोई डाटा नहीं देखा, जिसमें बताया गया हो कि असम, म्यांमार का हिस्सा था।बता दें कि नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने असम को लेकर उक्त बात कही थी।
यह विवाद ऐसे समय सामने आया है, जब मणिपुर में अवैध प्रवासियों का मुद्दा हिंसा का कारण बन रहा है। मणिपुर में कुकी और मैतई जनजातियों के बीच जातीय हिंसा चल रही है। कुकी जनजाति को माना जाता है कि वह म्यांमार से पलायन करके मणिपुर आए हैं। कुकी जनजाति मणिपुर में अलग प्रशासन की मांग कर रही हैं।