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बिहार के आईपीएस अमित लोढ़ा का कानून से नहीं छूट रहा है पीछा

  • वेब सीरीज खाकी के चर्चा में आए थे लोढ़ा

  • उनके मददगार भी इनदिनों परेशानी में हैं

  • करोड़ों रुपये खर्च हुए थे इसे बनाने में

दीपक नौरंगी

पटना: 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा पर दिन व दिन कानून का शिकंजा कसता जा रहा है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष निगरानी इकाई ने उनसे लगभग तीन घंटे तक पूछताछ की। बताया जाता है कि 7 दिसंबर को आईजी अमित लोढ़ा दिन में 11:00 बजे विशेष निगरानी इकाई के कार्यालय पहुंचे वहां अनुसंधानकर्ता द्वारा उनसे करीब कई बिंदुओं पर जानकारी ली गई है पुलिस मुख्यालय में बैठे उनके मददगार अधिकारी भी इस कार्रवाई से शख्ते में है। वैसे अधिकारियों का भी पसीना छूट रहा है जो पर्दे की आढ में रहकर अमित लोढ़ा की मदद कर रहे थे।

अमित तब चर्चा में आए जब उन्होंने करोड़ों रुपए से अधिक खर्च कर वेब सीरीज दी बिहार चैप्टर बनाई थी। इसे बनाने में उनकी भूमिका सीधे तौर पर नहीं है । लेकिन इसे बनाने वाली कंपनी मलिक के साथ उनके संबंध उजागर हुए हैं। आईपीएस की पत्नी के भी खाते में लेनदेन की बात सामने आई है । इन सभी पहलुओं की जांच एसबीयू व कर रही है। उन्हें 7 नवंबर को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा गया था। लेकिन वे उसे दिन उपस्थित नहीं हुए । सात दिसंबर को वे पूछताछ के लिए कार्यालय में उपस्थित हुए। तो आईपीएस में कमरे में एक खलबली मची बताया जाता है कि आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा प्रभावशाली आईपीएस अधिकारी में इनकी गिनती होती है

पटना के राय दारोगा पद स्थित एसबीयू कार्यालय में उनसे लगभग तीन घंटे तक पूछताछ की गई। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने को लेकर कई सवाल पूछे गए। वेब सीरीज के लिए करोड़ों रुपए इंतजाम करने के संबंध में भी उनसे पूछताछ की गई। अमित लोढ़ा पर सरकारी पद का दुरुपयोग करने का भी मामला सामने आया है।

इस मामले को लेकर भी कई सवाल उठाए गए । उन्होंने कुछ सवालों का लिखित जवाब दिया कुछ का मौखिक। सारे सवाल जवाब को रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। हालांकि पूछताछ के दौरान लोढ़ा ने अपने ऊपर लगे सारे आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने जांच एजेंसी को यह भी सलाह दी की पूरे मामले की जांच वे नए सिरे से करें । उन्होंने गया में आईजी रहते हुए अपने ऊपर लगे पद के दुरुपयोग करने के मामले को भी खारिज कर दिया।

सूत्रों ने बताया कि आईपीएस रहते हुए उन्होंने बिना सरकार से अनुमति लिए मुनाफे का व्यापार किया। वो भी एक अपराध है। शुरुआती जांच में इनके ऊपर लगाए गए आरोप सही पाए गए । इस कारण इन्हें पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया था। उधर सूत्रों का कहना है कि लोढ़ा के पक्ष में पॉलिटिकल व विभागीय लॉबी मजबूत है। यही कारण है कि इनके विरुद्ध चल रही कार्रवाई में बीच-बीच में विराम लग जाता है। अब देखना है कि विशेष निगरानी इकाई ने अपने जांच पड़ताल में कहां तक सफल हो पाती है। वही इस जांच की उद्वेदन का लोगों को बेसब्री से इंतजार है।

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