कियेबः रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में अब यूक्रेन की तरफ से जवाबी हमले की तैयारी चल रही है। दरअसल दूसरे देशों से मिले हथियार और प्रशिक्षित सैनिक वापस लौट रहे हैं। इसके बीच यह साफ हो जाता है कि इन नये हथियारों की बदौलत यूक्रेन की हवाई सुरक्षा पहले से निश्चित तौर पर बेहतर हुई है।
इसके बाद भी निप्रो शहर की तबाही से पता चला है कि इस एयर डिफेंस में अभी कई ऐसे छेद हैं, जिन्हें रूस आसानी से भेद सकता है। युद्ध के कई इलाकों का दौरा करने वाले पत्रकारों ने बताया कि इस क्षेत्र में झाड़ियों के बीच एक जर्मन निर्मित स्व-चालित एंटी-एयरक्राफ्ट गन गेपर्ड देखते हैं।
जर्मनी ने हाल ही में काफी आना कानी के बाद यूक्रेन को यह हथियार उपलब्ध कराये हैं। यूक्रेन के सैनिकों के मुताबिक जब भी रूस मिसाइल हमले शुरू करता है या आसमान को ईरानी निर्मित ड्रोनों से भर देता है। उनका मुकाबला करने के लिए यहां ऐसे स्व-चालित एंटी-एयरक्राफ्ट गन हैं। इन बंदूकों से 550 राउंड प्रति मिनट प्रति दागे जा सकते हैं।
यह उन 34 गेपर्ड में से एक है जिसे जर्मनी ने कियेब भेजा है। इस एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम में एक कंप्यूटर सिस्टम है जो स्वचालित रूप से लक्ष्य का पता लगाने, इसे पकड़ने और इसे जल्द से जल्द नष्ट करने में हमारी मदद करता है। वहां की सैन्य यूनिट ने पहले ही चार शहीद ड्रोन और दो मिसाइलों को मार गिराया है। पश्चिमी मदद के कारण, यूक्रेन अब एक बहुस्तरीय वायु रक्षा नेटवर्क तैयार करता है जो लघु, मध्यम और लंबी दूरी के लक्ष्यों को मारने में सक्षम है।
परिणाम सामने हैं, रूसी मिसाइल और ड्रोन हमलों से कम से कम नुकसान हो रहा है। रूसी हमलो की तुलना में यूक्रेन की सफलता का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है, अब दक्षता 80 प्रतिशत से अधिक है। फिर भी, कुछ ड्रोन और मिसाइलें यूक्रेन के विमानभेदी बचाव में सेंध लगाती हैं। इससे साफ होता है कि इस बचाव पद्धति में छेद है, जिसे रूसी सेना बार बार भेद लेती है। कभी-कभी उनका प्रभाव न्यूनतम होता है, लेकिन कभी-कभी यह विनाशकारी होता है, जैसे कि नीप्रो शहर में शुक्रवार की घातक हमला। यूक्रेन के अधिकारियों की शिकायत है कि घनी आबादी वाले शहरों में इस तरह के हथियारों का इस्तेमाल शुद्ध आतंकवाद है।