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राजभवन और सरकार के बीच दांव पेंच
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पूर्व राज्यपाल बैस ने लौटाया था विधेयक
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जनता से चुनाव में इसका वादा किया था
राष्ट्रीय खबर
रांची: झारखंड कांग्रेस कई अन्य ओबीसी संगठनों की तर्ज पर आरक्षण विधेयक को दोबारा राज्यपाल के पास भेजने की पक्षधर है। इसके लिए वह सरकार में सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा पर भी दबाव डालने जा रही है। दरअसल यह एक ऐसा मुद्दा है जो स्थानीयता और नियोजन नीति से परे हटकर भी राजनीतिक लाभ दिला सकता है।
इस प्रस्ताव में ओबीसी समुदाय के सदस्यों के लिए 27 फीसद आरक्षण की बात है। राज्यपाल राधाकृष्णन ने पहले विधेयक को राज्य सरकार को लौटा दिया था। वैसे राज्यपाल का यह फैसला भारत के अटॉर्नी जनरल के बाद आया है। उन्होंने राय दी थी कि बिल के प्रावधान कई कानूनों का उल्लंघन कर रहे थे। विधेयक लौटाये जाने के बाद राजभवन के सूत्रों ने हवाले से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में यह जानकारी दी है।
वैसे सरकार में शामिल सभी दल ओबीसी आरक्षण का कोटा बढ़ाने के पक्ष में हैं। दरअसल पिछले चुनाव के दौरान भी यह एक चुनावी वादा था। इसमें कहा गया था कि 14 फीसद से 27 फीसद तक सरकारी नौकरी 2019 के दौरान झारखंड के लोगों से किए गए कांग्रेस के प्रमुख वादों में से एक था। इसलिए कांग्रेस भी अपने सहयोगियों की तरह ही जनता के बीच इस वादा को पूरा करने का काम पूरा करने के बाद जाना चाहती है।
इस बीच राज्यपाल ने विधेयक को सरकार को लौटा दिया है। यह विधेयक पिछले साल 11 नवंबर को राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया गया था। इसके बाद हेमंत सोरेन की अगुआई की सरकार ने तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस को उनकी सहमति के लिए और केंद्र को शामिल करने के लिए बिल भेजा था।
बीच में चुनाव आयोग का आया लिफाफा भी सरकार में अस्थिरता पैदा करने के लिए पर्याप्त रहा। वैसे विधेयक में ओबीसी के अलावा, विधेयक में एससी, एसटी समुदायों के आरक्षण को बढ़ाने का भी प्रस्ताव है। ईडब्ल्यूएस श्रेणी को शामिल करना, जिससे राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण 77 फीसद हो गया।
इससे पहले, पूर्व राज्यपाल श्री बैस ने लिंचिंग विरोधी विधेयक, राज्य उत्पाद शुल्क संशोधन विधेयक और एक विधेयक समेत पांच अन्य विधेयकों को लौटा दिया था। 1932 के भूमि सर्वेक्षण के रिकॉर्ड के आधार पर राज्य के स्थानीय लोगों को परिभाषित करें। सत्तारूढ़ गठबंधन के कई नेता मानते हैं कि भाजपा के द्वारा राजभवन का दुरुपयोग किया जा रहा है और इसे राजनीति का केंद्र बनाया जा रहा है। यदि अन्य राज्यों में आरक्षण 50 फीसद से अधिक है। झारखंड में इसे मुद्दा क्यों बनाया गया, यह समझ से परे है।
वैसे कांग्रेस इस मुद्दे को अभी गर्म रखना चाहती है। राहुल गांधी के खिलाफ ओबीसी का अपमान करने का मुद्दा बैक फायर करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे जातिगत जनगणना की मांग बार बार कर रहे हैं। इससे भी भाजपा असहज स्थिति में है क्योंकि नीतीश कुमार ने बिहार में यह काम प्रारंभ कर दिया है। हिंदी पट्टी के प्रदेशों के लिए यह एक मजबूत चुनावी मुद्दा है, इसे सभी राजनीतिक दल अच्छी तरह जानते हैं।