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अमित शाह ने असम-अरुणाचल का 50 साल पुराना विवाद खत्म किया

  • पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए बड़ा क्षण: गृह मंत्री शाह

  • सीमा समाधान के फार्मूले पर दोनों पक्ष सहमत

  • अरुणाचल प्रदेश का एक गांव असम में शामिल

  • सीमा क्षेत्र के  10 गांव असम में ही बने रहेंगे

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी: गृह मंत्री अमित शाह ने आज घोषणा की कि असम-अरुणाचल प्रदेश 700 किलोमीटर का सीमा विवाद खत्म हो गया है। दोनों राज्यों के बीच 1972 से लंबित सीमा विवाद को दोनों राज्यों द्वारा हल कर लिया गया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने गृह मंत्री की उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किए।

इस अवसर पर केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और केंद्र तथा दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।गृह मंत्री अमित शाह ने आज कहा कि असम और अरुणाचल प्रदेश की सरकारों ने दोनों राज्यों के बीच पांच दशक से भी पुराने सीमा विवाद  को खत्म करने के लिए गुरुवार को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।

इसके साथ ही दोनों पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा पर स्थित 123 गांवों की समस्या का भी समाधान हो गया। असम और अरुणाचल प्रदेश 804.1 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं और अरुणाचल प्रदेश को 1972 में केंद्र शासित प्रदेश घोषित किए जाने के बाद से ही दोनों राज्यों के बीच यह सीमा विवाद चल रहा था।

केन्द्रीय मंत्री शाह ने कहा कि ऐसे समय में जबकि देश स्वतंत्रता का 75वां साल मना रहा है, दोनों राज्यों की अंतरराज्यीय सीमा पर स्थित 123 गांवों का विवाद अब हमेशा के लिए समाप्त हो गया है। शाह ने असम और अरुणाचल प्रदेश की ओर से पुराने लंबित सीमा विवाद को ‘सौहार्दपूर्ण’ तरीके से सुलझाया जाना दोनों राज्यों के लिए ‘ऐतिहासिक’ घटना है।

शाह ने आशा जताई कि 1972 से जारी इस पुराने सीमा विवाद की समाप्ति पूर्वोत्तर राज्यों में सर्वांगिण विकास और शांति लेकर आएगी।केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यह पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए बड़ा क्षण है जो 2014 में नरेंद्र मोदी नीत सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही सर्वांगिण विकास देख रहा है।

गृहमंत्री ने कहा कि मोदी सक्रिय रूप से भाषाओं, साहित्य और पूर्वोत्तर की संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं और हाल ही में रिकॉर्ड कायम करने वाली ‘बिहू नृत्य’ की प्रस्तुति इसका ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सीमा विवाद पर एक स्थानीय आयोग की रिपोर्ट दशकों से यहां-वहां भटक रही थी, जिसे अब दोनों राज्यों ने स्वीकार कर लिया है।

अम‍ित शाह ने कहा कि आज का समझौता विकसित, शांतिपूर्ण और संघर्ष मुक्त पूर्वोत्तर के मोदी के सपने को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। शाह ने कहा कि 2018 से केंद्र सरकार ने कई संधियों/समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जैसे… ब्रू आदिवासी, एनएलएफटी के उग्रवादी समूहों और असम के कार्बी आंगलोंग के रहने वालों के साथ और पूर्वोत्तर से हिंसा समाप्त करके शांति स्थापित की है।

उन्होंने कहा कि 2014 के मुकाबले अब पूर्वोत्तर में हिंसा की घटनाओं में 67 प्रतिशत कमी आयी है, सुरक्षा बलों के कर्मियों की मृत्यु में 60 फीसदी और असैन्य नागरिकों की मौत में 83 फीसदी कमी आयी है, जो बड़ी उपलब्धि है। गृहमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर के कई स्थानों से आफस्पा को हटा लिया है।

उन्होंने बताया, असम में 70 प्रतिशत, मणिपुर के छह ज़िलों के 15 पुलिस थानों, अरुणाचल में तीन ज़िले छोड़कर सभी ज़िलों, नगालैंड के सात जिलों और त्रिपुरा व मेघालय से पूर्णतया आफस्पा को हटा लिया गया है।असम के मुख्यमंत्री हिमंत ब‍िस्‍वा सरमा ने समझौते पर हस्ताक्षर को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह शांति और समृद्धि लाने वाला बनेगा।

उन्होंने कहा कि 51 साल के बाद, भारत का सबसे पुराना अंतरराज्यीय सीमा अपने नतीजे पर पहुंच गया है और यह प्रधानमंत्री के आशीर्वाद, केन्द्रीय गृहमंत्री के दिशा-निर्देश और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के अथक सहयोग से संभव हुआ है। सरमा ने कहा क‍ि अरुणाचल प्रदेश के साथ आज का समझौता पिछले दो सालों में मेघालय के साथ किए गए प्रयासों के अनुरुप ही है।

इससे पूर्वोत्तर में भाईचारे की भावना बढे़गी और हमारा संघीय ढांचा मजबूत होगा क्योंकि यह राज्यों के बीच विवादों को सुलझाने का नया तरीका लाया है।अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सीमा विवाद की समाप्ति को अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक बताया और भरोसा जताया कि इससे दोनों राज्यों में शांति और विकास में बड़ा बदलाव आएगा।

उन्होंने कहा कि यह समझौता प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की प्रेरणा और राजनीतिक इच्छाशक्ति तथा शर्मा नीत असम सरकार के सक्रिय सहयोग से संभव हो सका है। अरुणाचल प्रदेश की ओर से स्थानीय आयोग के समक्ष 2007 में जिन 123 गांवों पर दावा किया था, उनमें से 71 पर सौहार्दपूर्ण समाधान निकाल आया है।

इनमें सरमा और खांडू के बीच 15 जुलाई, 2022 को नामसाई घोषणापत्र पर हस्ताक्षर के दौरान निकले 27 गांवों के समाधान, और आज के समझौते के तहत निकले 34 गांवों के समाधान शामिल हैं। इन 71 गांवों में से अरुणाचल प्रदेश में से एक गांव को असम में शामिल किया जाएगा, 10 गांव असम में ही बने रहेंगे और 60 गांवों को असम से लेकर अरुणाचल प्रदेश में शामिल किया जाएगा।

बाकि बचे 52 गांवों में से 49 गांवों की सीमाएं अगले छह महीनों में क्षेत्रीय समितियों द्वारा तय की जाएंगी, वहीं भारतीय वायुसेना के बमबारी क्षेत्र में आने वाले तीन गांवों का पुनर्वास किया जाना आवश्यक है। इस समझौते के तहत दोनों राज्यों की सरकारें राजी हुई हैं कि 123 गांवों पर यह अंतिम फैसला होगा और यह विवाद समाप्त हुआ।

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