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सीमावर्ती 130 गांवों की बदलेगी सूरत, एलएसी पर मजबूत होगी भारत की स्थिति

तवांग में झड़प के बाद मोदी सरकार का बड़ा फैसला

  • सीमावर्ती क्षेत्रों में लगाए जाएंगे 43 नए टावर

  • विवाद वाले इलाकों में फोन संपर्क बेहतर होगा

  • सड़क परिवहन बेहतरी का काम पहले से जारी

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी: भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुए संघर्ष के बाद यह फैसला किया गया है। तवांग के उपायुक्त के एन  दामो ने बताया कि बीएसएनएल और भारती एयरटेल ‘कनेक्टिविटी’ में सुधार के लिए 43 नए मोबाइल टावर लगाएंगे। दामो ने कहा कि मौजूदा टावर वांछित सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं, जिससे न केवल रक्षा बलों बल्कि सीमा पर रहने वाले नागरिकों को भी परेशानी हो रही है।

भारत-चीन के बीच सीमा विवाद लगातार बढ़ता नजर आ रहा है। कुछ दिन पहले 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में भारत और चीन के सैनिकों के बीच एक हिंसक झड़प देखने को मिली थी। चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की थी, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया था। लेकिन, बात तवांग की हो, डोकलाम की या फिर लद्दाख की, चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है।

बीते कुछ वर्षों में भारतीय सीमा पर चीनी सैनिकों की घुसपैठ काफी बढ़ गई है। भारत के लिए मुख्य चिंता का कारण चीन के साथ लगती करीब 4000 किमी की सीमा है। जो लद्दाख से शुरू होकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक आती है।

इस सरहद के लिए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल भी अभी तक तय नहीं की जा सकी है। क्योंकि, तवांग, डोकलाम और लद्दाख की तरह ही कई जगहों पर चीन के साथ भारत का सीमा विवाद है। भारतीय सेना ने बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में सीमावर्ती क्षेत्रों में 130 गांवों की पहचान की है।

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट चीन द्वारा नागरिक बस्तियों के विस्तार पर बढ़ती चिंताओं की पृष्ठभूमि में सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने आज यह जानकारी दी। लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि एलएसी से 100 किलोमीटर के भीतर किसी भी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अनुमोदन प्रदान करने के वास्ते एक प्रकार की ‘एकल खिड़की प्रणाली’ के लिए प्रयास चल रहे हैं क्योंकि विभिन्न नियामक मंजूरी प्राप्त करने में लगने वाले समय के कारण प्रमुख परियोजनाओं के कार्यान्वयन में देरी होती है।

कमांडर ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में एलएसी के साथ लगने वाले कई क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों, वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों और आरक्षित वनों के अंतर्गत आते हैं और परियोजनाओं के लिए विभिन्न स्वीकृतियां प्राप्त करना कई बार चुनौतीपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा, “हम एलएसी से 100 किलोमीटर के भीतर आने वाले किसी भी बुनियादी ढांचे के लिए एकल खिड़की मंजूरी की एक पद्धति विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि इसका मकसद विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन की गति को तेज करना है।वहीं, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम सेक्टर में एलएसी की निगरानी करने वाली पूर्वी कमान के कमांडर ने कहा कि चीन की सीमा से लगे प्रमुख इलाकों में सड़क और दूरसंचार नेटवर्क विकसित करने के लिए काफी काम चल रहा है। एलएसी के साथ आदर्श गांवों के विकास पर लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने कहा कि योजना का उद्देश्य ‘रिवर्स माइग्रेशन’ (विपरीत पलायन) सुनिश्चित करना है और लोगों को बेहतर संभावनाओं के लिए क्षेत्रों को छोड़ने से रोकना है।

कमांडर ने कहा कि सेना द्वारा पहचाने गए 130 गांवों में से 28 सिक्किम में हैं, बाकी अरुणाचल प्रदेश में हैं।हालांकि, अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल  के पास संपर्क सुविधा सुधारने के लिए सरकार ने क्षेत्र में और मोबाइल टावर लगाने का फैसला किया है। तवांग जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने  यह जानकारी दी।

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