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मुंगेर के पूर्व डीआईजी शफीउक हक को निलंबन मुक्त

  • पूर्व एसपी सुधीर पोरिका मामले में सरकार विचार करे

  • एक पर अपराध इकाई ने दर्ज किया था एफआईआर

  • दूसरे पर आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप

दीपक नौरंगी

पटना: बिहार राज्य सरकार ने लगातार कई आईपीएस अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की है। आने वाले दिनों में और भी कई आईपीएस अधिकारी पर कार्यवाही की संभावना बनती दिख रही है। गया पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ  आर्थिक अपराध इकाई ने पिछले साल 15 अक्टूबर को आर्थिक ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद पिछले साल 18 अक्टूबर को आदित्य कुमार को सस्पेंड कर दिया गया था।

सरकार ने आदित्य कुमार की निलंबन अवधि को 12 अक्टूबर 2023 तक बढ़ा दिया है। आईपीएस अधिकारी में काफी चर्चा में बने रहे दयाशंकर पर लगे भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे थे। विशेष निगरानी इकाई ने पूर्णिया के तत्कालीन एसपी दया शंकर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत 10 अक्टूबर 2022 को केस दर्ज किया था।

इसके बाद उन्हें 18 अक्टूबर 2022 को निलंबित कर दिया गया था। पूर्णिया के पूर्व एसपी दयाशंकर के निलंबन की अवधि को 12 अक्टूबर 2023 तक बढा दिया है। औरंगाबाद के पूर्व एसपी सुधीर पोरिका भी अभी तक निलंबित है। राज सरकार ने उनकी अवधि दो बार बढ़ा दी है।

भोजपुर के पूर्व एसपी राकेश दुबे के साथ भी यही स्थिति बनी हुई है। भोजपुर के पूर्व एसपी राकेश दुबे भी अभी तक निलंबित है लेकिन औरंगाबाद के पूर्व एसपी सुधीर पोरिका के मामले में राज्य सरकार को सहानुभूति पूर्वक विचार करना चाहिए क्योंकि इस मामले में भले ही सरकार ने कार्रवाई कर दी है लेकिन आय से अधिक संपत्ति का मामला सुधीर पोरिका नहीं बनता दिखता है।

यह चर्चा आईएएस और आईपीएस महकमे में भी है। सरदार पटेल भवन में कई तरह की चर्चाएं देखी जा रही है। आईजी अमित लोढ़ा पर भी एक मामला चल रहा है। उन्होंने अपने ऊपर एक फिल्म रिलीज की है, जो काफी हिट की है। इस मामले में आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा एक जांच की गई है जिसमें कई तरह के तथ्य सामने आने की बात बताई जा रही है।

भ्रष्टाचार के आरोपी शफीउल हक का निलंबन समाप्त

एक दिसंबर 2021 को ही शफीउल को सस्पेंड कर दिया था मुंगेर के पूर्व डीआईजी को बड़ी राहत मिली है। अब जल्दी व पुलिस मुख्यालय में अपना योगदान दे देंगे। निलंबन के बाद लगातार डीआईजी शफीउक हक सुर्खियों में बने हुए थे।

मुंगेर के पूर्व डीआईजी शफीउल हक ने आवेदन देकर निलंबन से मुक्त करने का अनुरोध सरकार से किया था। शफीउक हक द्वारा दिये गये आवेदन आवेदन में उन्होंने अपनी कई बीमारियों का भी उल्लेख किया है। उक्त आवेदन पर सहानुभूति जताते हुए सरकार ने उन्हें निलंबन से मुक्त कर दिया गया है।

इसी तरह सरकार को औरंगाबाद के पूर्व एसपी पर अभी सहानुभूति पूर्वक विचार करना चाहिए। कहीं ना कहीं वर्तमान में भी चल रहे हैं राज सरकार की अधिसूचना में मुंगेर के पूर्व डीआईजी शफीउल हक को पुलिस मुख्यालय में योगदान देने को कहा गया है।

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